पाकिस्तान के इस देवी मंदिर में मुस्लिम भी करते हैं पूजा, यहीं गिरा था देवी सती का सिर, ये हैं खास बातें

30 मार्च, बुधवार को मां हिंगलाज जयंती (Hinglaj Jayanti 2022) है। इस दिन देवी हिंगलाज (Goddess Hinglaj) के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। वैसे तो हमारे देश में माता हिंगलाज के अनेक मंदिर हैं, लेकिन मुख्य स्थान पाकिस्तान (Pakistan) के बलूचिस्तान (Balochistan) में है। ये एक शक्तिपीठ है।

उज्जैन. पाकिस्तान के हिंगलाज मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम श्रृद्धालु भी अपना सिर झुकाते हैं। मुस्लिम इसे नानी का हज कहते हैं। मान्यता है कि इसी स्थान पर देवी सती का मस्तक यानी सिर गिरा था। पाकिस्तान ही नहीं भारत व अन्य देशों के लोग भी इस शक्तिपीठ के दर्शन करने जाते हैं। ऊंची पहाड़ी पर स्थिति होने के कारण इस मंदिर की यात्रा बहुत कठिन है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

ये भी पढ़ें- Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के दौरान भूलकर भी न करें ये 4 काम, हो सकता है कुछ अशुभ

जानिए कहां है ये मंदिर…
देवी हिंगलाज का ये मंदिर हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। ये मंदिर मकरान रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ियों की एक श्रृंखला के अंत में है। मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है। जहां एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है। मान्यता है कि जब देवी सती ने आत्मदाह किया तो भगवान शिव उनके शव को लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे। शिव के मोह को भंग करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के देह के टुकड़े कर दिए। जहां-जहां सती के अंग गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ कहलाए। मान्यता है कि हिंगलाज शक्तिपीठ में देवी सती का सिर गिरा था।

ये भी पढ़ें- Varuni Parv 2022: वारुणी पर्व 30 मार्च को, इस दिन की जाती है जल के देवता की पूजा, ये काम करना होता है शुभ

मुस्लिम भी करते हैं पूजा
पाकिस्तान के मुस्लिम भी हिंगलाज माता पर आस्था रखते हैं और मंदिर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। वे इस मंदिर को नानी का मंदिर कहते है। एक प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए स्थानीय मुस्लिम जनजातियां, तीर्थयात्रा में शामिल होती हैं और तीर्थयात्रा को नानी का हज कहते हैं। नवरात्रि के दौरान भी इस मंदिर में हिंदू-मुस्लिम का कोई फर्क नहीं दिखता। कई बार पुजारी-सेवक मुस्लिम टोपी पहने दिखते हैं। वहीं, मुस्लिम देवी माता की पूजा के दौरान साथ खड़े मिलते हैं। इनमें से अधिकतर बलूचिस्तान-सिंध के होते हैं।

ये भी पढ़ें- Amavasya 2022: 31 मार्च और 1 अप्रैल को चैत्र मास की अमावस्या, जानिए किस दिन करें श्राद्ध और किस दिन स्नान-दान?

रात में शक्तियां एकत्र होती हैं इस स्थान पर
लोक कथाओं के अनुसार, हिंगलाज माता चारणों व राजपुरोहित की कुलदेवी हैं। हिंगलाज देवी से सम्बन्धित छंद गीत अवश्य मिलती है।
सातो द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास।
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में॥
अर्थात: सातों द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती है और प्रात:काल सब शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती हैं।
 

ये भी पढ़ें-

अप्रैल 2022 में ग्रहों का दुर्लभ संयोग, सभी 9 ग्रह बदलेंगे राशि, शनिदेव बढ़ाएंगे इन 3 राशि वालों की परेशानी

31 मार्च को शुक्र ग्रह करेगा राशि परिवर्तन, मेष सहित इन 3 राशि वालों को होगा सबसे ज्यादा फायदा

साल में सिर्फ एक बार आता है ये शुभ योग, इस बार 30 मार्च को बनेगा, सिर्फ 4 घंटे 23 मिनट रहेगा

Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि में बनेगा ग्रहों का खास योग, देवी का वाहन घोड़ा होने से मिलेंगे शुभ फल


हिंदू कैलेंडर की पहली नवरात्रि 2 अप्रैल से, क्या आप जानते हैं साल में कितनी बार आती है नवरात्रि?
 

Latest Videos

Share this article
click me!

Latest Videos

'ये सरकार ने जान बूझकर...' संभल में बवाल पर अखिलेश का सबसे बड़ा दावा, कर देगा हैरान
महाराष्ट्र के चुनावों में अडानी का बहुत बड़ा हाथ था उसने चुनावों में BJP की मदद की: खड़गे
योगी सरकार और BJP के ख़िलाफ़ जमकर दहाड़े AAP राज्यसभा सांसद संजय सिंह
कांग्रेस के कार्यक्रम में राहुल गांधी का माइक बंद ऑन हुआ तो बोले- मुझे बोलने से कोई नहीं रोक सकता
संभल हिंसा पर कांग्रेस ने योगी और मोदी सरकार पर साधा निशाना