अगहन मास में रोज सुबह नदी स्नान का महत्त्व और वैज्ञानिक कारण

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 1 दिसंबर से अगहन मास शुरू होगा, जो 30 दिसंबर तक रहेगा। इस महीने से जुड़ी कई परंपराएं भी हैं। गहन मास में रोज सुबह नदी या तालाब में स्नान करने की परंपरा है। अगहन मास में नदी स्नान का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है

Asianet News Hindi | Published : Nov 30, 2020 1:46 AM IST

उज्जैन. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 1 दिसंबर से अगहन मास शुरू होगा, जो 30 दिसंबर तक रहेगा। इस महीने से जुड़ी कई परंपराएं भी हैं। गहन मास में रोज सुबह नदी या तालाब में स्नान करने की परंपरा है। अगहन मास में नदी स्नान का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है, जो इस प्रकार है...

इसलिए अगहन मास में है नदी स्नान की परंपरा…

- अगहन मास को रोग दूर करने वाला कहा गया है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण इस मास का अनुकूल वातावरण है।
- वर्षा ऋतु में आसमान बादलों से ढंका रहता है। ऐसे में कई सूक्ष्मजीव पनपते हैं और रोग फैलाते हैं।
- इसके बाद जब शरद ऋतु आती है तो आसमान साफ हो जाता है और सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर आती हैं, जिससे रोगाणु समाप्त हो जाते हैं और मौसम स्वास्थ्य के लिए अनुकूल हो जाता है।
- ताजी हवा, सूर्य की पर्याप्त रोशनी आदि शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती है।
- यही कारण है कि अगहन मास में सुबह नदी स्नान का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में लिखा है।
- सुबह उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं।

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