Mahalaxmi Vrat 2022: अर्जुन स्वर्ग से क्यों लेकर आए देवराज इंद्र का हाथी, क्या है ये पूरी कथा?

Mahalaxmi Vrat 2022: इस बार 17 सितंबर, शनिवार को महालक्ष्मी व्रत किया जाएगा। इसे गजलक्ष्मी व्रत भी कहते हैं क्योंकि इस व्रत में हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस व्रत का विशेष महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
 

Manish Meharele | Published : Sep 16, 2022 9:18 AM IST

उज्जैन. आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2022) का विधान है। इस बार ये व्रत 17 सितंबर, शनिवार को किया जाएगा। कुछ स्थानों पर इस दिन सिर्फ मिट्टी के हाथी की ही पूजा की जाती है। इसलिए इसे हाथी पूजन भी कहा जाता है। इस व्रत में हाथी को भी बेसन से बनी श्रृंगार सामग्री चढ़ाई जाती है। इस व्रत से जुड़ी कई कथाएं (Mahalaxmi Vrat Katha) हैं। ऐसी ही एक कथा पांडवों से भी जुड़ी है। आगे जानिए इस कथा के बारे में…

जब महर्षि वेदव्यास ने बताया महालक्ष्मी व्रत का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आए। वहां रानी गांधारी और कुंती ने मुनि वेदव्यास से पूछा कि “हे मुनि, हमारे राज्य में धन की देवी मां लक्ष्मी और सुख-समृद्धि बनी रहे, इसके लिए उचित उपाय बताएं।” तब महर्षि वेदव्यास ने कहा कि “ इसके लिए आप हर साल अश्विनी कृष्ण अष्टमी को देवी महालक्ष्मी का व्रत करें।” 

जब गांधारी ने बनाया विशाल हाथी
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आने पर गांधारी ने अपने महल में महालक्ष्मी व्रत का आयोजन किया। इसके लिए उन्होंने अपने 100 पुत्रों की सहायता से राजमहल में मिट्टी से विशालकाय हाथी का निर्माण करवाया। पूजा के लिए गांधारी ने पूरे नगर की महिलाओं को आमंत्रित किया, लेकिन कुंती को बुलावा नहीं भेजा। जब सभी महिलाएं गांधारी के महल में जाने लगी तो कुंती ये देखकर उदास हो गई।

जब अर्जुन स्वर्ग से लेकर आए ऐरावत हाथी
जब पांडव अपने महल में आए तो उन्होंने अपनी माता कुंती को उदास देखा। कारण पूछने पर गांधारी ने उन्हें पूरी बात सच-सच बता दी। पूरी बात जानकर अर्जुन ने कहा कि “माता आप महालक्ष्मी पूजा की तैयारी कीजिए, मैं आपके लिए हाथी लेकर आता हूं।“ ऐसा बोलकर अर्जुन स्वर्ग गए और देवराज इंद्र से प्रार्थना कर उनका ऐरावत हाथी अपने साथ ले आए।

जब सभी महिलाओं ने किया ऐरावत का पूजन
अर्जुन जब ऐरावत हाथी को लेकर आए तो सभी ओर ये चर्चा होने लगी। ऐरावत हाथी को देखने के लिए पूरे नगर की महिलाएं कुंती के महल में एकत्र हो गईं। तब सबसे पहले कुंती ने ऐरावत हाथी की पूजा की और बाद में अन्य महिलाओं ने भी विधि-विधान से महालक्ष्मी पूजन किया। इसके बाद अर्जुन ऐरावत हाथी को पुन: स्वर्ग लोक में देवराज इंद्र के पास छोड़ आए।


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