Mahashivratri 2022: इन देवता के नाम पर है गुजरात का ये प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग, 10 टन है इसके शिखर का भार

वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlinga) का विशेष महत्व है। ये ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में मंदिरों के रूप में स्थापित हैं। इन सभी से कोई-न-कोई विशेष मान्यता और परंपराएं जुड़ी हैं। त्योहारों पर यहां विशेष आयोजन भी किए जाते हैं।
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 22, 2022 11:31 AM IST

उज्जैन. 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान पर आता है सोमनाथ (Somnath) । ये गुजरात (Gujarat) के सौराष्ट्र क्षेत्र (Saurashtra) के वेरावल बंदरगाह (Veraval Port) के निकट स्थित है। मान्यता है कि स्वयं चंद्रदेव ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। चंद्रमा का एक नाम सोम भी है, इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा। इस बार 1 मार्च को भगवान शिव का प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) आ रहा है। इस अवसर पर जानिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Temple Gujarat) से जुड़ी कथा, महत्व व अन्य बातें …

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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें-
1.
यह तीर्थस्थान देश के प्राचीनतम तीर्थस्थानों में से एक है और इसका उल्लेख स्कंदपुराण, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है।
2. ये मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप- तीन प्रमुख भागों में विभाजित है। इसका शिखर 150 फुट ऊंचा है, जिस पर स्थित कलश का भार दस टन है।
3. इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर को 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।
4. माना जाता है कि सन 1026 में महमूद गजनी ने जो शिवलिंग खंडित किया था, वही आदि शिवलिंग था। मंदिर में फिर से शिवलिंग प्रतिष्ठित किया गया, जिसे सन 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित कर दिया था। इस तरह खंडन और जीर्णोद्धार का सिलसिला चलता रहा।
5. बताया जाता है आगरा के किले में जो देवद्वार हैं, वे सोमनाथ मंदिर के ही हैं। इन्हें महमूद गजनी लूटपाट के बाद अपने साथ ले गया था और आगरा के किले में रखवा दिए थे।

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चंद्रमा को मिली थी शाप से मुक्ति
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं से करवाया था, लेकिन चंद्रमा अपनी पत्नियों में से सिर्फ रोहिणी को ही अधिक प्रेम करते थे। इस बात से क्रोधित होकर दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को क्षय हो जाने का श्राप दे दिया। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रमा ने शिवलिंग की स्थापना की और तपस्या करने लगे। प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें श्रापमुक्त कर दिया। तभी से ये शिवलिंग यहां स्थापित है।

अल बरूनी ने भी किया है इसकी कीर्ति का वर्णन
गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी। अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा, जिससे प्रभावित होकर महमूद ग़ज़नवी ने सन 1026 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। उसकी सम्पत्ति लूटी और नष्ट कर दिया। इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो इसे फिर गिराया गया। सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और विनाश का सिलसिला जारी रहा। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।

क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
महाशिवरात्रि भगवान शिव से संबंधित सबसे प्रमुख त्योहार है। ये पर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार, इस तिथि पर भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे और विष्णु और ब्रह्माजी की परीक्षा ली थी।, वहीं कुछ स्थानों पर इसे शिव-पार्वती के विवाह से जोड़कर देखा जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।


कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग:
सोमनाथ से 63 कि.मी. की दूरी पर दीव एयरपोर्ट (Diu Airport) है। यहां तक हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं। इसके बाद रेल या बस की मदद से सोमनाथ पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग: सोमनाथ के लिए देश के लगभग सभी बड़े शहरों से ट्रेन मिल जाती हैं।
सड़क मार्ग: सोमनाथ सड़क मार्ग से सभी बड़े शहरों से जुड़ा है। निजी गाड़ियों से भी सड़क मार्ग से सोमनाथ आसानी से पहुंचा जा सकता है।

 

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