ब्रह्मास्त्र जितने ही शक्तिशाली थे ये अस्त्र भी, पलक झपकते ही पूरी सेना का कर देते थे सफाया

वर्तमान समय में परमाणु बम को सबसे शक्तिशाली हथियार माना जाता है। ये ऐसा हथियार है जो पलक झपकते ही किसी भी शहर को तबाह कर सकता है और कई सालों तक इसका दुष्प्रभाव उस स्थान की जलवायु पर देखा जा सकता है। इसके अलावा और भी मिसाइल और बम हैं जो महाविध्वंसकारी हैं।

Manish Meharele | Published : Jun 23, 2022 5:33 AM IST

उज्जैन. प्राचीन काल में भी कुछ ऐसे ही महाविनाशकारी अस्त्र हुआ करते थे। रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharata) में ऐसे अनेक अस्त्रों के बारे में लिखा है ब्रह्मास्त्र, आग्नेयास्त्र आदि। Asianetnews Hindi ब्रह्मास्त्र (Brahmastra Series 2022) पर एक सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में आज हम आपको प्राचीन काल के महाविनाशकारी अस्त्रों के बारे में बता रहे हैं। गीताप्रेस गोरखपुर (Geeta Press Gorakhpur) द्वारा प्रकाशित हिंदू संस्कृति अंक में इन अस्त्र-शस्त्रों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। ये अस्त्र इस प्रकार हैं…

1. ब्रह्मास्त्र: इसे प्राचीन काल का सबसे घातक अस्त्र माना जाता है। इसका कोई काट नहीं थी, सिर्फ दूसरे ब्रह्मास्त्र से ही इसे रोका जा सकता था। एक बार चलने के बाद ये अपने लक्ष्य को समाप्त कर ही लौटता था। आज के दौर के हथियारों से तुलना की जाए तो ब्रह्मास्त्र की ताकत कई परमाणु बमों से भी कहीं ज्यादा थी।

2. पाशुपत अस्त्र: भगवान शिव का एक नाम पशुपति भी है, जिसका अर्थ है संसार के सभी प्राणियों के देवता। नाम से ही पता चलता है कि ये भगवान शिव का अस्त्र है। इस अस्त्र में पूरी दुनिया का विनाश करने की क्षमता थी। रामायण में मेघनाद ने लक्ष्मण पर ये अस्त्र चलाया था, लेकिन शेषनाग का अवतार होने के कारण ये अस्त्र उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। महाभारत युद्ध के दौरान यह अस्त्र केवल अर्जुन के पास ही था।

3. नारायणास्त्र: ये अस्त्र भी महाभंयकर था। इसे वैष्णव और विष्णु अस्त्र भी कहा जाता है। एक बार इसे चलाने के बाद दूसरा कोई अस्त्र इसे काट नहीं सकता था। इससे बचने का सिर्फ एक उपाय था कि शत्रु हथियार डालकर स्वयं को समर्पित कर दे। महाभारत युद्ध में अश्वत्थामा ने इस अस्त्र का प्रयोग किया था।

4. आग्नेय अस्त्र: यह अस्त्र मंत्र शक्ति चलता था, जो धमाके के साथ आग बरसाता था और अपने लक्ष्य को जलाकर राख कर देता था। इसकी काट पर्जन्य बाण के जरिए संभव थी। महाभारत युद्ध में कई बार इस अस्त्र का उपयोग किया गया।

5. पर्जन्य अस्त्र: मंत्र शक्ति से सधे इस अस्त्र से बिना मौसम बादल पैदा हो जाते और भारी बारिश होती और बिजली कड़कती थी। इसे वरुण देवता का अस्त्र कहा जाता था। 

6. पन्नग अस्त्र: इस बाण को चलाने पर सांप ही सांप पैदा हो जाते थे। जो अपने दुश्मनों पर टूट पड़ते थे। इसकी काट गरुड़ अस्त्र से ही संभव थी। रामायण में भगवान राम व लक्ष्मण भी इसी के रूप नागपाश के प्रभाव से मूर्छित हुए थे।

7. गरुड़ अस्त्र: इस अचूक बाण में मंत्रों के आवाहन से गरुड़ पैदा होते थे, जो खासतौर पर पन्नग अस्त्र या नाग पाश से पैदा सांपों को मार देते थे या उसमें जकड़े व्यक्ति को मुक्त करते थे।

8. वायव्य अस्त्र: मंत्र शक्ति से यह बाण इतनी तेज हवा और तूफान उत्पन्न करता था कि चारों ओर अंधेरा हो जाता था, जिससे दुश्मनों की सेना में खलबली मच जाती थी। 


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