आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि 9 जुलाई, शुक्रवार को सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाएगी, जो 10 जुलाई, शनिवार की सुबह तकरीबन 7 बजे तक रहेगी। इस दिन 5.45 पर ही सूर्योदय हो जाएगा, इसलिए उस दिन शनैश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी।
उज्जैन. शनैश्चरी अमावस्या के दिन स्नान-दान करने से कई गुना पुण्य मिलेगा। पितृदोष, कालसर्प दोष की शांति के लिए, बाधाओं के निवारण के लिए यह अमावस्या बहुत श्रेष्ठ है। यह साल 2021 की दूसरी शनैश्चरी अमावस्या रहेगी। इसके पहले 13 मार्च को भी शनैश्चरी अमावस्या का योग बना था।
क्यों खास है ये अमावस्या?
ग्रंथों में बताया गया है कि शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या शुभ फल देती है। इस तिथि पर तीर्थ स्नान और दान का कई गुना पुण्य फल मिलता है। अमावस्या शनिदेव की जन्म तिथि भी है। इसलिए इस दिन शनिदेव के पीपल के पेड़ की पूजा करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म होते हैं। इस दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए व्रत रखना चाहिए और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना चाहिए।
शनि अमावस्या पर क्या करें
- इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। संक्रमण से बचने के लिए घर पर ही पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर नहाएं।
- इसके बाद श्रद्धा के मुताबिक दान करने का संकल्प लेना चाहिए। फिर जरुरतमंद लोगों को दान देना चाहिए।
- इस दिन तेल, जूते-चप्पल, लकड़ी का पलंग, छाता, काले कपड़े और उड़द की दाल का दान करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म हो जाता है।
तिल स्नान से दूर होंगे दोष
- शनिचरी अमावस्या पर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल के साथ तिल मिलाकर नहाना चाहिए। ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं।
- शनिचरी अमावस्या पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है। इस दिन काले कपड़े में काले तिल रखकर दान देने से साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है।
- साथ ही एक लोटे में पानी और दूध के साथ सफेद तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाने से पितृ दोष का असर कम होने लगता है।
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