मेरठ के इस मंदिर को कहते हैं भूतों वाला मंदिर, इससे जुड़े हैं और भी रहस्य, ये बातें जानकर चौंक जाएंगे आप भी

Published : Mar 09, 2022, 12:28 PM IST
मेरठ के इस मंदिर को कहते हैं भूतों वाला मंदिर, इससे जुड़े हैं और भी रहस्य, ये बातें जानकर चौंक जाएंगे आप भी

सार

भारत में अनेक ऐसे मंदिर है, जिनसे कोई-न-कोई ऐसी किवंदती जुड़ी है, जिस पर सहसा विश्वास नहीं किया जा सकता। ये मंदिर आज भी लोगों के बीच एक पहेली बने हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) के दातियाना गांव (Datiana Village) में है।

उज्जैन. उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के दातियाना गावं में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण एक ही रात में भूतों ने किया था। स्थानीय लोग इसे भूतों वाला मंदिर (Ghost Temple Meerut) भी कहते हैं। इसी नाम से इस मंदिर की प्रसिद्धि भी है। दूर-दूरे से लोग इस मंदिर को देखने और शिवजी के दर्शन के लिए आते हैं। हालांकि कुछ लोग इसे सिर्फ अफवाह मानते हैं। और भी कई मान्यताएं इस मंदिर से जुड़ी हुई हैं। लोगों की इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है।

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मंदिर का शिखर नहीं बना पाए भूत
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भूतों ने एक ही रात में इसे बना दिया था, लेकिन शिखर बनाने से पहले सुबह हो गई और भूत इसे पूरा नहीं कर पाए। तब से ये मंदिर बिना शिखर के ही था। बाद में लोगों ने इस मंदिर के शिखर का कार्य पूरा किया। लोगों का कहना है कि ये मंदिर हजारों साल पुराना है, लेकिन आज तक वैसा का वैसा की खड़ा है। कितनी ही प्राकृतिक आपदाएं आई और गई, लेकिन मंदिर वहीं का वहीं है। लाल रंग की ईंटों से बने इस मंदिर में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। शिखर का निर्माण बाद में हुआ, जिसे सीमेंट से बनाया गया है। 

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गांव वालों की रक्षा करते हैं महादेव
स्थानीय लोगों का कहना है कि 1980 में मंदिर के शिखर में दरारें आ गई थीं, लेकिन मंदिर को कुछ भी नहीं हुआ। गांव के लोगों का मानना है कि यह मंदिर उनकी रक्षा करता है। जब भी गांव के लोगों पर कोई मुसीबत आती है तो वे इस मंदिर में जाकर प्रार्थना करते हैं और परेशानी दूर हो जाती है। समय-समय पर इस मंदिर में विशेष आयोजन भी किए जाते हैं जैसे महाशिवरात्रि आदि पर। लोगों का मंदिर को लेकर चाहे जो कहना हो, लेकिन इतिहासकार का कहना कुछ अलग है। इतिहासकारों की मानें तो मंदिर की वास्तुशैली गुप्त काल की लगती है, इसलिए इसका निर्माण उसी दौरान हुआ हो। 

 

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