UPSC Success Story: ऑप्शनल में कम आए मार्क्स फिर भी बनाया मुकाम, पढ़ें IPS बनने वाले वैभव जिंदल की कहानी

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कांसाबेल गांव के रहने वाले वैभव की ऑल इंडिया में 253वीं रैंक आयी है। उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) कैटगरी मिलने की उम्मीद है। निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले वैभव की सफलता का सफर संघर्षों से भरा रहा। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 1, 2021 7:41 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:20 PM IST

करियर डेस्क.  संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा क्वालीफाई कर वैभव जिंदल (Vaibhav Jindal) ने अपने परिवार ही नहीं बल्कि अपने गांव का सपना भी सच कर दिया है। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कांसाबेल गांव के रहने वाले वैभव की ऑल इंडिया में 253वीं रैंक आयी है। उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) कैटगरी मिलने की उम्मीद है। निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले वैभव की सफलता का सफर संघर्षों से भरा रहा। वैभव ने अलग-अलग जगहों से पढ़ाई पूरी की। आर्थिक दिक्कतें भी उनकी राह का रोड़ा बनीं लेकिन उनका सपना था UPSC की परीक्षा पास करना। इस दौरान उनकी फैमिली और रिश्तेदारों ने भी पूरा सपोर्ट किया। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने वैभव से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।

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अलग-अलग जगहों से की पढ़ाई, कॉमर्स में रहें टॉपर स्टूडेंट
वैभव ने सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई कांसाबेल स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से पूरी की। 8 से 10वीं तक उन्होंने रायपुर के बोर्डिंग स्कूल में पूरी की। 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई कानपुर स्थित जेके स्कूल से कॉमर्स विषय में की। 2015 में सीबीएसई बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में 98.2 फीसदी अंक के साथ कॉमर्स के टॉपर थे। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली से ग्रेजुएशन किया और ग्रेजुएशन का अंतिम वर्ष पूरा होते ही उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में भी हाथ आजमाया। वर्ष 2018 के पहले अटेम्पट में उनका प्रीलिम्स क्लियर हुआ था लेकिन वो  मेंस परीक्षा पास नहीं कर पाए। 2019 के दूसरे अटेम्पट में उनका प्रीलिम्स भी नहीं निकला तो उन्हें निराशा हुई, यूपीएससी 2020 में यह उनका तीसरा प्रयास था।

कोचिंग में काम कर बढ़ा आत्मविश्वास
वैभव कहते हैं कि दूसरे अटेम्पट में जब वह प्रीलिम्स में भी असफल रहें तो उस समय काफी निराश हुए थे कि अब क्या होगा? उस समय उन्होंने एक कोचिंग में कुछ दिन काम किया। वहां वह कापियां चेक करते थे। तब उन्हें लगा कि नहीं वह सफल हो सकते हैं। उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा उस काम से उनकी कुछ कमाई हुई जो उनके काम आई।

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उम्मीदों को याद कर होते थे मोटिवेट
वैभव का कहना है कि सफलता मेरी पहचान से जुड़ी थी। स्कूल से लेकर कॉलेज तक मैंने कभी असफलता नहीं देखी थी। जब वह अपने गांव से निकलते थे तो पूरा गांव उन्हें देखता था कि यह लड़का कुछ बनकर आएगा। उनका कहना है कि यदि वह असफल हो जाते तो उनके गांव व परिवार के छोटे बच्चे सपना देखना ही छोड़ देते। वह कहते कि जब स्कूल, कॉलेज में इतना सफल व्यक्ति कुछ नहीं कर पाया तो हम लोग कैसे कर पाएंगे। वह उन्हें हतोत्साहित नहीं कर सकते थे। उनका परिवार चाहता था कि वह कुछ अच्छा करें, अच्छा पद प्राप्त करें। वह जब उनकी उम्मीदों को याद करते थे तो वह हमेशा उनको मोटिवेट होने में सहायता करती थी।

अंग्रेजी नहीं आती थी तो लगता था अटपटा
वैभव कहते हैं कि वह छोटी जगह से आते हैं। उनकी शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में हुई थी तो शुरूआती दिनों में उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी। जब वह अपने घर से बाहर निकले तो उन्हें यह अटपटा लगता था कि जब वह साधारण सी बात को अच्छे से नहीं कह पाते थे। उन्होंने अलग-अलग जगह पढ़ाई की तो वहां की स्थितियों के हिसाब से एडजस्ट करना काफी कठिन लगता था। ऊपर से बाहर पढ़ाई करने का खर्च भी काफी ज्यादा होता है तो उन्होंने उसे व्यवस्थित करके पढ़ाई जारी रखी। कई बार रिश्तेदार भी उनकी मदद करते थे तो वह उसकी जवाबदेही भी महसूस करते थे। उसका अपने उपर दबाव महसूस करते थे। तैयारी के दौरान साल में दो से चार दिन ही अपने घर जा पाते थे। घर वालों ने मिलना नहीं हो पाता था।  

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पिता करते हैं कपड़ों का व्यवसाय
उनके पिता प्रवीण जिंदल का कांसाबेल में ही कपड़ों का व्यवसाय है। मां ममता जिंदल गृहिणी हैं। उनकी एक बड़ी बहन वैशाली जिंदल भी हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवाजनों के साथ टीचर्स को देते हुए कहते हैं कि रिश्तेदारों ने भी उनका सहयोग किया।

 

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी ही मानसिक और शारीरिक स्तर पर ट्रेनिंग
वैभव का कहना है कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी अपने आप में एक लर्निंग अनुभव है। तैयारी ही मानसिक और शारीरिक स्तर पर ट्रेनिंग है। आदमी एक सही आफिसर इसी जर्नी में ही बन पाता है। उनका कहना है कि जब आप कई बार असफलता का सामना करते हैं। तब आपको पता चलता है कि आपको कैसे लोगों से जुड़ना चाहिए। जिनसे आप अपनी बात शेयर कर सकें, जिससे आपका मानसिक तनाव कम हो। जब पहले अटेम्पट में उनका मेंस क्लियर नहीं हुआ और दूसरे अटेम्पट में उनका प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं हुआ, तब उन्होंने जीवन में पहली बार असफलता का सामना किया था तब उन्हें यह एहसास हुआ था।

नहीं करें अपनी काबिलियत का मूल्यांकन
उनका कहना है कि यूपीएससी में कई चीजें आपकी नियंत्रण में नहीं होती है। यहां भाग्य और अन्य फैक्टर (कारकों) का बड़ा महत्व होता है। इस बार वैकल्पिक विषय में कॉमर्स में उच्चतम अंक 67 तक गए। जबकि बाकी विषयों के अंक 320 के आस पास तक गएं। यह सब चीजें आपके नियंत्रण में नहीं है लेकिन असफलता मिलने पर अपनी काबिलियत का मूल्यांकन नहीं करना चाहिए।

तय करें कि जो सोच रहे हैं वह सपना है या लक्ष्य
वैभव का कहना है कि यूथ पहले यह समझे कि जो वह सोच रहे हैं वह उनका सपना है या लक्ष्य है। यदि सपना है तो उसके टूटने की संभावना होती है लेकिन यदि लक्ष्य है तो वह आपके पक्ष को परिभाषित करती है। अगर आप जो सोच रहे हैं वह आपका लक्ष्य है तो उसे पाने से आपको कोई भी चीज रोक नहीं सकती है। नतीजा कुछ भी आए युवाओं को अपनी क्षमता का मूल्यांकन नहीं करना चाहिए। यदि एक क्षेत्र बंद हो गया तो ऐसा नहीं कि वह कुछ और नहीं कर सकते। दुनिया में बहुत सारे क्षेत्र हैं, जहां वह काम कर सकते हैं। अपने मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बड़े उत्साह से तैयारी करनी चाहिए। सही मेंटर सही सपोर्ट बहुत जरूरी है।

हेल्दी फूड व हेल्दी लीविंग बहुत जरूरी
परीक्षा की तैयारी में जरूरी है कि आप 8 से 10 घंटे ही पढ़ाई करें पर कंसिस्टेंसी के साथ पढ़ाई करें और अपने साथ परिवार, दोस्तों व मेंटर्स का सहयोग बनाए रखें। तैयारी के दौरान हेल्दी फूड व हेल्दी लीविंग (स्वस्थ भोजन व स्वस्थ जीवन) बहुत जरूरी है। कई बच्चे बाहर रहकर तैयारी करते हैं। यदि आप स्वस्थ नहीं रहेंगे और बार-बार बीमार पड़ेंगे तो आपकी तैयारी पर इसका असर पड़ेगा। अपने प्रयासों पर विश्वास रखें। परिणाम पर आपका वश नहीं होता। यदि आपने प्रयास सही किया है तो परिणामों से आपको घबराने की जरूरत नहीं है। 

जो भी करें अपनी दृष्टिकोण से करें
उनका कहना है कि परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं की बहुत जगह बहुत ज्याद इनवाल्वमेंट (भागीदारी) नहीं होनी चाहिए। यदि उनकी फ्रेंड सर्किल ज्यादा रहेगी तो कमिटमेंट ज्यादा बढेंगे। बहुत ज्यादा मैटेरियल फॉलो नहीं करें। स्रोत सीमित रखें और उसे बार बार रिवाइज करें। वैसे अगर आप देखेंगे तो यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले लाखों छात्र हैं तो आपको लाखों राय मिल जाएगी कि कैसे तैयारी करनी है। जो भी करें अपनी दृष्टिकोण का इस्तेमाल कर करें। कई बार कई लोगों के कई सुझाव होते हैं तो हम कन्फयूज हो जाते हैं। क्या करें और क्या नहीं करें? उससे बचें।
 

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