प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के मौके पर पीएम मोदी (PM Modi) ने किसानों की मांग मान ली। किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मोदी सरकार ने तीनों कानून वापस लाने (three farm laws) की घोषणा कर दी है।
करियर डेस्क. प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के मौके पर पीएम मोदी (PM Modi) ने किसानों की मांग मान ली। पिछले एक साल से तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मोदी सरकार ने तीनों कानून वापस लाने (three farm laws) की घोषणा कर दी है। शुक्रवार को देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा- सरकार तीनों कृषि कानूनों को नेक नीयत के साथ लाई थी, लेकिन यह बात हम किसानों को समझा नहीं पाए इस कारण से इन तीनों कानूनों को वापस ले रहे हैं और संसद सत्र में इसे वापस लाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं संसद में कोई कानून कैसे वापस होता है? किसी कानून को वापस लाने की क्या प्रक्रिया होती है। AsianetHindi ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से बात की और जाना की कानून वापस लेने की प्रक्रिया क्या होती है।
दो तरह के होते हैं विधेयक
विधि का रूप लेने वाले अधिकांश विधेयक सरकारी विधेयक होते हैं। लोकसभा में विधेयक पेश करने का काम मुख्य रूप से कार्यपालिका करता है, (इसीलिए उस विधेयक को सरकारी विधेयक भी कहते हैं) लेकिन उस विधेयक को पारित (Pass) विधायिका (legislature) करता है। हालांकि गैर-सरकारी सदस्य भी विधेयक पेश कर सकता है जिसे कि गैर-सरकारी विधेयक कहा जाता है।
संसद में पहले कराया जाता है परिचय
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बताया कि किसी कानून को निरस्त करना या वापस लेना एक ही बात है। जब किसी कानून को वापस लेने के लिए बात आती है तो उसके लिए सरकार को वहीं प्रक्रिया अपनानी पड़ती हो जो उसे लागू करने की लिए अपनानी पड़ती है। सरकार जब किसी कानून को वापस लेती है तो उसके लिए सदन में एक बिल लेकर आती है। जिसे सबसे पहले संबंधित विभाग का मंत्री सदन में रखता है। विभाग का मंत्री उस बिल को आम सदस्यों से परिचय करवाता है और उसके बाद उस बिल पर चर्चा शुरू होती है।
बहस के बाद होती है वोटिंग
जब केन्द्र सरकार के द्वारा कोई बिल वापस या निरस्त किया जाता है को उस बिल को सदन के पटल पर रखने के बाद उसके पर उसी तरह से चर्चा होती है जिस तरह से उसे लागू करने के समय की जाती है। इस कानून वापस करने के बिल को पहले राज्यसभा या फिर लोकसभा में पेश किया जा सकता है। सदन के दोनों पटलों पर बिल की चर्चा के बाद इसके वापस लेने की प्रक्रिया के लिए वोटिंग की जाती है। ये वोटिंग सदन के दोनों पक्षों पर की जाती है।
राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है बिल
उन्होंने बताया कि जब कानून का वापस लेने का बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो जाता है तो उस राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है और राष्ट्रपति के साइन होने के बाद से ही जो कानून चल रहा होता है वह निरस्त हो जाता है जिसे वापस लेना भी कहते हैं। उन्होंने बताया कि कानून का निरस्त होना और वापस लेना एक ही प्रक्रिया है।
क्या थे कानून और कब हुए थे पास
पहला कृषि कानून- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020। इसके अनुसार किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते थे। दूसरा कृषि कानून - किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 था। तीसरा कानून- आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम। इन्ही तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर 2020 को संसद से पास कराया गया था। इसके बाद से लगातार किसान संगठनों की तरफ से विरोध कर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही थी। किसान संगठनों का तर्क था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म कर देगी। सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन पाई। कई किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं के आसपास आंदोलन पर बैठकर इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
इसे भी पढ़ें- गुरु पर्व पर PM मोदी ने किसानों को दिया बड़ा तोहफाः 14 महीने बाद तीनों कृषि कानून वापस, कहा- अब किसान घर जाएं
PM मोदी ने जैसे ही किया कृषि कानून वापस लेने का एलान, सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ 'किसान आंदोलन'