नवजोत सिंह सिद्धू ने खुद को निर्दोष बताया है और अपनी साफ छवि का भी हवाला दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले में उनकी सजा में बदलाव नहीं करने का आग्रह किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होनी है।
चंडीगढ़। पंजाब चुनाव के बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की अचानक टेंशन बढ़ाने वाले रोड रेज मामले में बड़ी खबर सामने आई है। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ रोड रेज मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज करने का अनुरोध किया। उन्होंने पुनर्विचार याचिका के जवाब में कहा कि पुनर्विचार याचिका विचारणीय नहीं है और यह घटना 33 साल पहले की है।
नवजोत सिंह सिद्धू ने खुद को निर्दोष बताया है और अपनी साफ छवि का भी हवाला दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले में उनकी सजा में बदलाव नहीं करने का आग्रह किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होनी है। इससे पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट में 3 फरवरी को सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 25 फरवरी तक के लिए टाल दी थी। चुनाव के दौरान सुनवाई टलने से सिद्धू को काफी राहत मिली थी। पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की और फैसले पर नए सिरे से विचार करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर 2018 को पुनर्विचार याचिका पर सजा के मसले पर विचार करने के लिए सिद्धू को नोटिस जारी किया था।
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ये है मामला
रोडरेड का मामला 27 दिसंबर, 1988 का है। नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला में कार से जा रहे थे। रास्ते में वे गुरनाम सिंह नाम के एक बुजुर्ग से भिड़ गए थे। गुस्से में सिद्धू ने मुक्का मार दिया, जिसके बाद गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। पटियाला पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया था। निचली अदालत ने सिद्धू को सुबूतों के अभाव में 1999 में बरी कर दिया था, लेकिन पीड़ित पक्ष ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। 2006 में हाइकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले को सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
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सुप्रीम कोर्ट ने एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को सिर्फ एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी। 2006 में जब हाइकोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी, तब वह भाजपा में थे और अमृतसर से सांसद थे। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा और वह फिर से जीत गए।
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