Maha Shivratri 2022: शिवजी को लगाएं पंचामृत का भोग, बनाते समय रखें इन चीजों का ध्यान

Published : Feb 28, 2022, 01:01 PM IST
Maha Shivratri 2022: शिवजी को लगाएं पंचामृत का भोग, बनाते समय रखें इन चीजों का ध्यान

सार

महाशिवरात्रि 2022: पंचामृत दो शब्दों का मेल है-पंच का अर्थ पांच और अमृत का अर्थ है अमृत। शिवरात्रि पर भगवान शिव को इसका भोग जरूर लगाया जाता है।  

फूड डेस्क: 1 मार्च 2022, मंगलवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जा रहा है। घरों और मंदिरों में इसे लेकर खूब तैयारियां चल रही है। इस दिन भगवान शिव (lord shiva) की बारात निकाली जाती है और उन्हें तरह-तरह के भोग अर्पित किए जाते है। भोलेनाथ को सबसे प्रिय पंचामृत होता है। इसे बनाना तो बहुत आसान है, लेकिन इसे बनाते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। ऐसे में आइए आपको बताते हैं, पंचामृत बनाने की विधि, इसे बनाने के लिए आपको चाहिए-
2 कप कच्चा दूध
1 1/2 कप दही
1 चम्मच गंगाजल
2 चम्मच शहद
1 चम्मच गाय का घी1
10-15 मखाने
10-15 किशमिश
8-10 पिस्ता
2 चम्मच नारियल घिसा हुआ
इच्छानुसार काजू बादाम कटे हुए

विधि
- पंचामृत बनाने के लिए सबसे पहले चांदी की कटोरी लें। चांदी एक शुद्ध और इम्यूनिटी को बढ़ावा देने वाली धातु है। अगर आपके पास चांदी का बर्तन नहीं है, तो आप किसी स्टील, पीतल या किसी साफ बर्तन में भी इसे बना सकते हैं।

- अब दही को अच्छी तरह से फेंट लीजिए। इसमें कच्चा दूध, गंगाजल, शहद और घी को मिलाएं। बाद इसमें मखाने, किशमिश,  पिस्ता और नारियल के साथ ही इच्छानुसार काजू बादाम डालें।

- तैयार है शिव जी को चढ़ाने के लिए पंचामृत। इसे भोग में लगाने से पहले इस में तुलसी का पत्ता जरूर डालें।

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भोलेनाथ का करें पंचामृत अभिषेक
पंचामृत पूजा के दौरान देवताओं को दिया जाने वाला एक प्रसाद है जिसमें पांच तत्व होते हैं- दूध, दही, शहद, चीनी और घी। रुद्र अभिषेक और शिवरात्रि के दौरान पंचामृत का उपयोग किया जाता है और इससे शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है, जो एक तरीका स्नान होता है। इसे करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं।

पंचामृत का महत्व
प्रसाद में आप जो दूध डालते हैं वह पवित्रता का प्रतीक है। दही संतान और समृद्धि का प्रतीक है। खुशी के लिए चीनी या घी डाला जाता है और शहद मिठास के लिए जोड़ा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पवित्र तुलसी में देवी लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए जब पवित्र तुलसी के पत्तों को पंचामृत में मिलाया जाता है, तो यह प्रसाद को अधिक स्वस्थ और पवित्र बनाता है। ऐसे माना जाता है, कि समुद्र मंथन के दौरान असुरों और देवताओं द्वारा निकले रत्नों में तुलसी भी शामिल थी। यह प्रसाद पहले देवता को चढ़ाया जाता है और फिर भक्तों को दिया जाता है। देश भर के शिव मंदिर शिवलिंग और फिर भक्तों को पंचामृत और दूध चढ़ाते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें
शिवरात्रि के दिन सबसे पहले आप स्नान करें। बिना नहाएं भोलेनाथ के लिए पंचामृत ना बनाएं। इसे बनाने के लिए शुद्धता का पूरा ध्यान रखें। एक साफ पात्र में ही पंचामृत बनाएं और इसे भोग लगाने के बाद घर में सभी को प्रसाद स्वरूप वितरित करें।

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