दुनिया भर के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए भारत में इसका वैक्सीन बनाने का काम तेजी से शुरू हो गया है। देश की करीब आधा दर्जन कंपनियां इसके लिए काम में लग गई हैं। वैक्सीन विकसित करने का यह काम अमेरिका और भारत एक साथ मिल कर करने जा रहे हैं।
हेल्थ डेस्क। दुनिया भर के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए भारत में इसका वैक्सीन बनाने का काम तेजी से शुरू हो गया है। देश की करीब आधा दर्जन कंपनियां इसके लिए काम में लग गई हैं। वैक्सीन विकसित करने का यह काम अमेरिका और भारत एक साथ मिल कर करने जा रहे हैं। कुछ समय पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने घोषणा की थी कि भारत और अमेरिका कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने जा रहे हैं। बता दें कि अमेरिका और भारत पिछले तीन दशक से साथ मिल कर वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोग्राम चला रहे हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
भारत है वैक्सीन का सबसे बड़ा निर्माता
भारत की गिनती दुनिया के सबसे बड़े जेनरिक दवाओं और वैक्सीन निर्माता के रूप में होती है। यहां वैक्सीन बनाने वाली करीब आधा दर्जन से ज्यादा बड़ी कंपनियां हैं, वहीं कई छोटी फर्में भी इस काम में लगी हैं। ये कंपनियां पोलियो, मैनिनजाइटिस, निमोनिया, मीजल्स और दूसरी कई संक्रामक बीमारियों के टीके बनाती हैं। ये कंपनियां अब कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने के काम में जुट गई हैं। इन कंपनियों में सबसे बड़ी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया है, जिसके दो प्लान्ट्स पुणे में हैं।
विदेशों में भी हैं इस कंपनी के प्लान्ट्स
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्लान्ट्स विदेशों में भी हैं। नीदरलैंड्स और चेक रिपब्लिक में इस कंपनी के छोटे प्लान्ट हैं। 53 साल पुरानी इस कंपनी में करीब 7 हजार लोग काम करते हैं। यह कंपनी दुनिया के 165 देशों में 20 तरह के वैक्सीन की सप्लाई करती है। यहां होने वाले उत्पादन का 80 फीसदी हिस्सा विदेशों में निर्यात किया जाता है। यह दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन बनाने वाली कंपनी है।
सितंबर से शुरू होगा वैक्सीन का ट्रायल
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन विकसित करने के लिए अमेरिकी बायोटेक कंपनी कोडाजेनिक्स से साझेदारी की है। कंपनी लाइव एटेनुएटेड पद्धति से वैक्सीन बनाएगी। इसमें वायरस को कमजोर करके लैब में उससे वैक्सीन को विकसित किया जाता है। फिलहाल, दुनिया की 80 कंपनियां इस तरीके से वैक्सीन बनाने में लगी हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर आधार पूनावाला का कहना है कि अप्रैल महीने में ही इस वैक्सीन का जानवरों पर ट्रायल किया जाएगा। सितंबर तक इसका ट्रायल इंसानों पर किया जाने लगेगा। इसके लिए जेनिटिकली इंजीनियर्ड चिंपाजी वायरस का इस्तेमाल किया जाएगा, जिस पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में काम चल रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इसके उत्पादन के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से करार किया है। कंपनी का कहना है कि सितंबर तक इस वैक्सीन का 10 लाख डोज तैयार किया जा सकता है।