26 साल पुराने स्पर्म का किया इस्तेमाल, डॉक्टर ने कैंसर सर्वाइवर को दे दिया पिता बनने का सुख

एक शख्स जो कैंसर से जूझ रहा है वो पिता बन गया है। 26 साल पुराने स्पर्म का इस्तेमाल करके उसकी पत्नी मां बनने में कामयाब हो गई। स्पर्म किसका है और इतने सालों बाद भी वो वर्क कर गया इसकी स्टोरी नीचे बताते हैं।

Nitu Kumari | Published : Oct 27, 2022 11:00 AM IST / Updated: Oct 27 2022, 04:46 PM IST

हेल्थ डेस्क.स्पर्म को सुरक्षित रखना, एग को फ्रीज कराने का चल अब बढ़ गया है। लेकिन 90 के दशक में ऐसा रेयर इंसान ही करता होगा। लेकिन स्पर्म सुरक्षित कराने वालों कि लिस्ट में पीटर हिक्लस भी थे। जिन्होंने  5 जून 1996 को स्‍पर्म जमा करवाया था। यह काम उन्होंने 21 साल की उम्र में किया था। दरअसल,उस वक्त वो कैंसर (Hodgkin’s lymphoma) से ग्रस्‍त हो गए थे। सबसे बड़ी बात कि लैब में 26 साल तक उनका स्पर्म सुरक्षित रहा। 

इंग्लैंड के कोलेचेस्टर एसेक्स के रहने वाले पीटर हिक्लस (Peter Hickles) ने डॉक्टर की सलाह पर 21 की उम्र में स्पर्म जमा कराया था। 20 अक्टूबर को पीटर और उनकी 32 साल की मंगेतर औरेलिजा  (Aurelija Aperaviciute) ने एक बेबी का स्वागत किया। सी सेक्शन से हुए बच्चे का वजन 3 किलो से ज्यादा था। वो पूरी तरह हेल्दी है।

मंगेतर बनना चाहती थी मां

फुटबॉल प्लेयर रह चुके पीटर ने  'द सन' से  बातचीत में बताया कि विश्वास नहीं हो रहा है कि वह एक बच्चे के पिता बन गए हैं। कैंसर की वजह नेचुरल तरीके से बच्चा पैदा करने में असमर्थ थे। लेकिन 26 साल पुराने सैंपल की वजह से वो और उनकी मंगेतर औरेलिजा संतान सुख पा गए। वो बताते हैं कि 1996 में वो ऑस्ट्रेलिया में छुट्टियां मनाने गए थे। तब उनके पिछले हिस्से में एक ट्यूमर मिला। यह ट्यूमर Hodgkin’s lymphom के कारण था जो एक किस्म का खतरनाक कैंसर है।

कैंसर के इलाज से पहले स्पर्म जमा कराया

इसके बाद डॉक्टर ने ट्रीटमेंट शुरू किया। उन्हें कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी। लेकिन इससे पहले उन्होंने पीटर को अपना स्पर्म सुरक्षित कराने को कहा। डॉक्टर की बात मानकर 21 साल की उम्र में उन्होंने  अपना स्पर्म सैंपल जमा कर दिया। इसके बाद उनका इलाज शुरू हुआ। 9 राउंड कीमोथेरेपी चली। जिसकी वजह से उनका स्पर्म काउंट जीरो हो गया। ये अक्सर कैंसर पीड़ित पेशेंट के साथ होता है।

26 साल पुराने स्पर्म फंक्शनल था

इसके बाद वो अपनी लेडी लव औरेलिजा के साथ रहना शुरू कर दिया। वो चाहती थी कि उसका भी अपना कोई बेबी हो। लेकिन पीटर बच्चा पैदा करने में असमर्थ थें। इसी दौरान पीटर को अपने स्पर्म सैंपल की याद आई। हालांकि उन्हें लगता था कि स्पर्म की शेल्फ लाइफ केवल 10 साल होती है। लेकिन फिर भी उन्होंने एक कोशिश की। उन्होंने अपने स्पर्म के बारे में पता किया और फिर डॉक्टर से संपर्क साधा।

आईवीएफ में 28 लाख खर्च आए

डॉक्टरों ने पीटर को बताया कि स्पर्म अभी काम करने की स्थिति में है।लंदन में मौजूद 'यूनिवर्सिटी कॉलेज हॉस्पिटल' के फ्रीजर से स्पर्म को निकालर आईवीएफ की मदद से औरेलिजा के ओवरी में डाला गया। जिसके बाद वो गर्भवती हो गई। हालांकि आईवीएफ ट्रीटमेंट पर उन्हें 28 लाख रुपए खर्च करने पड़ें। उनके घर अब एक नन्हे मेहमान की किलकारी गूंज रही है।

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