कुंडली में सूर्य की स्थिति और पांचवे भाव से जान सकते हैं किसे हो सकती है दिल से जुड़ी बीमारियां

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली देखकर यह पता लगाया जा सकता है उसे कौन-सी बीमारी होने की सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं। ग्रहों की स्थिति इस बारे में काफी कुछ बता देती है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 2, 2021 3:06 AM IST

उज्जैन. आज हम आपको कुंडली में बनने वाली कुछ ऐसी ग्रह स्थितियों व योगों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे दिल की बीमारियों की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इसकी जानकारी इस प्रकार है…

हृदय का कारक है सूर्य

- सूर्य हृदय का कारक होता है। अगर कुंडली में सूर्य बहुत ज्यादा पीड़ित हो यानी उस पर पाप प्रभाव हो तो दिल की बीमारियों की आशंकाएं बढ़ जाती है।
- इसी प्रकार सूर्य की अपनी राशि सिंह पर प्रतिकूल प्रभाव होना भी इसी ओर संकेत करता है। मंगल या शनि की युति या दृष्टि से सूर्य पीड़ित हो जाता है।

कुंडली का पंचम भाव भी देता है संकेत

- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली का पंचम भाव हृदय की ओर संकेत करता है। पंचम भाव और पंचमेश पर पाप प्रभाव होने से दिल की बीमारियों की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।
- इसके अलावा, इस बीमारी के लिए शरीर का चौथा भाव भी अहम होता है। चौथा भाव व्यक्ति के वक्ष स्थल की ओर संकेत करता है।
- चौथे भाव पर बहुत ज्यादा पीड़ा से हृदय रोग की वक्ष स्थल से संबंधी जटिलताओं और हृदय की सर्जरी के संकेत मिलते हैं।

कब गंभीर होगी बीमारी?

कुंडली में पर्याप्त पाप प्रभाव के साथ अगर ऐसे ग्रहों की दशाएं मिलती हैं, जो सूर्य, पंचम भाव या पंचमेश से संबंधित हों तो वे हृदय रोग दे सकती हैं। साथ ही बीमारी को और भी गंभीर रूप दे सकती हैं।

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