डिलीवरी के बाद कब और कैसे होते हैं पहले पीरियड्स? जानें सबकुछ

डिलीवरी के बाद पहले पीरियड्स को लेकर कई महिलाएं असमंजस में रहती हैं। यह पीरियड्स सामान्य से अलग होता है और देरी से भी आ सकता है, खासकर स्तनपान कराने वाली माताओं में। आइए जानें डिलीवरी के बाद पहले पीरियड्स के बारे में।

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 26, 2024 2:45 PM IST

डिलीवरी के बाद होने वाले पहले पीरियड्स को लेकर कई नई मम्मियाँ असमंजस में रहती हैं। पीरियड्स में देरी होने पर उन्हें घबराहट भी होती है। बच्चे के जन्म के बाद होने वाला पहला मासिक धर्म या पीरियड्स बहुत अलग होता है। कई महिलाओं को इसमें कई तरह की परेशानियां होती हैं। बच्चा जब नौ महीने तक माँ के गर्भ में पल रहा होता है तो माँ का शरीर सिर्फ़ बाहरी रूप से ही नहीं बल्कि आंतरिक रूप से भी कई बदलावों से गुज़रता है। इसी वजह से डिलीवरी के बाद नॉर्मल पीरियड्स शुरू होने में कभी-कभी बहुत देर हो जाती है। कई बार महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।

कुछ महिलाओं को 40 दिन में ही नॉर्मल पीरियड्स शुरू हो जाते हैं तो कुछ को डिलीवरी के एक साल बाद तक भी पीरियड्स नहीं होते हैं, इसके साथ ही आपको डिलीवरी के बाद अगर पहला पीरियड्स हो गया है तो उसके अगले महीने भी पीरियड्स होना बहुत ज़रूरी है। अगर उस दौरान पीरियड्स मिस हो गया तो आप दोबारा गर्भवती भी हो सकती हैं। 

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पहला पीरियड्स स्तनपान पर निर्भर करता है।

अगर माँ बच्चे को स्तनपान करा रही है तो पहले पीरियड्स आने में 8 हफ़्ते या उससे ज़्यादा का समय भी लग सकता है। लेकिन अगर माँ बच्चे को स्तनपान नहीं करा रही है तो 6-8 हफ़्ते के अंदर पीरियड्स आ सकते हैं।

डिलीवरी के बाद पहला पीरियड्स कैसा होता है? 
जैसे हर महिला का शरीर अलग होता है वैसे ही डिलीवरी के बाद के पहले पीरियड्स का अनुभव भी हर किसी का अलग-अलग होता है। आमतौर पर पेट के आसपास तेज़ दर्द होता है। रक्तस्राव भी ज़्यादा होता है। साथ ही इस पीरियड्स के ब्लड में रक्त के थक्के भी हो सकते हैं। इसके अलावा पीरियड्स नियमित न होने की आशंका भी रहती है। 

 

अगर डिलीवरी सिज़ेरियन यानी सी-सेक्शन से हुई हो तो पीरियड्स कैसे होते हैं?

अगर आपकी डिलीवरी सी-सेक्शन से हुई है तो नॉर्मल डिलीवरी की तरह 6 से 8 हफ़्ते में पीरियड्स आ सकते हैं। लेकिन सी-सेक्शन होने की वजह से ब्लीडिंग ज़्यादा हो सकती है और दर्द भी थोड़ा ज़्यादा हो सकता है। क्योंकि सी-सेक्शन ऑपरेशन के दौरान गर्भावस्था के दौरान अंदर बचे हुए सभी एंडोमेट्रियल टिश्यू को निकाल दिया जाता है।

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