भारत में चांदीपुरा वायरस का 20 साल में सबसे बड़ा कहर, जानें क्या है बचाव?

Published : Aug 29, 2024, 03:45 PM ISTUpdated : Aug 29, 2024, 03:48 PM IST
Chandipura virus

सार

भारत में चांदीपुरा वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और यह 20 साल में सबसे बड़ा प्रकोप है। यह वायरस सैंड फ्लाइ, मच्छर और खटमल के काटने से फैलता है और अभी तक इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है।

हेल्थ डेस्क। भारत में चांदीपुरा वायरस (Chandipura virus) का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। WHO (World Health Organisation) ने चेतावनी देते हुए बताया है कि भारत में चांदीपुरा वायरस का वर्तमान प्रकोप 20 साल में सबसे बड़ा है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जून की शुरुआत से 15 अगस्त तक AES (Acute Encephalitis Syndrome) के 245 मामले सामने आए हैं। 82 रोगियों की मौत हुई है। इस बीमारी में अभी मृत्युदर 33 फीसदी है। AES इस समय भारत के 43 जिलों में रिपोर्ट किया गया है। इनमें से 64 मामले चांदीपुरा वायरस (CHPV) के संक्रमण के मिले हैं।

क्या है चांदीपुरा वायरस?

चांदीपुरा वायरस रैबडोविरिडे परिवार का सदस्य है। यह भारत के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी भागों में बारिश के मौसम में ज्यादा फैलता है। गुजरात में हर 4 से 5 साल में CHPV प्रकोप में वृद्धि देखी जा रही है। यह वायरस सैंड फ्लाइ, मच्छर और खटमल के काटने से फैलता है। यह एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता। इस वायरस का खास इलाज या टीका अभी उपलब्ध नहीं है।

आंध्र प्रदेश में 2003 में AES का बड़ा प्रकोप देखा गया था। 329 संदिग्ध मामले सामने आए थे। इनमें से 183 रोगियों की मौत हो गई थी। बाद में एक स्टडी से पता चला कि यह CHPV के कारण हुआ था।

कैसे हो सकता है चांदीपुरा वायरस से बचाव?

चांदीपुरा वायरस के लिए इलाज या टीका नहीं है। मानसून के समय मच्छर और दूसरे कीड़े बढ़ जाते हैं। इससे वायरस को फैलने का मौका मिलता है। सैंडफ्लाइ, मच्छर और खटमल से बचकर आप इस बीमारी से दूर रह सकते हैं।

WHO ने CHPV को फैलने से रोकने के लिए सैंडफ्लाई, मच्छरों और टिक्स के काटने से बचाव और वेक्टर नियंत्रण की सिफारिश की है। वायरस फैलाने वाले सैंडफ्लाई जैसे वेक्टर को कंट्रोल करने के लिए व्यापक स्तर पर कीटनाशक छिड़काव किया जाए। मच्छरों को खत्म करने के इंतजाम किए जाएं। आम लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरूक किया जाए।

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