छतरपुर में खेलते-खेलते जमीन पर गिरी मासूम : आठ इंच की लकड़ी पीठ में घुसी, घंटों की मशक्कत के बाद बची जान

मां ने बताया खेलते समय बेटी पीठ के बल गिर गई थी। हम खेत पर काम कर रहे थे। उसकी चीख सुनी तो हम वहां भागकर पहुंचे। पहले तो हमे कुछ समझ ही नहीं आया फिर जब हमने उसे उठाने की कोशिश की तो खून निकल रहा था।

छतरपुर : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) में खेल-खेल में एक बच्ची के शरीर में आठ इंच की लकड़ी घुस गई। घटना लवकुश नगर थाना क्षेत्र के पीरा गांव की है। वह खेल रही थी कि अचानक जमीन पर गिर गई। वहां पड़ा लकड़ी का टुकड़ा उसकी पीठ में घुस गया। दर्द के मारे मासूम की चीख निकल गई। उसके बाद परिजन वहां पहुंचे तो सभी सन्न रह गए। सभी उसे लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद डॉक्टरों ने लकड़ी को निकाल दिया। बच्ची की जान बच गई है। वह फिलहाल अस्पताल में ही डॉक्टरों की निगरानी में है।

दर्द से तड़प उठी बच्ची
सात साल की नैंसी मां शिवकुमारी और पिता फूल सिंह यादव के साथ खेत पर थी। मां-बाप खेत में काम कर रहे थे और बच्ची पास में ही खेल रही थी। अचानक खेलते-खेलेत वह जमीन पर गिर गई और चीखने लगी। मां-बाप दौड़कर पास पहुंचे। कपड़े हटाकर देखा तो पीठ में करीब आधा फीट लकड़ी घुस गई थी। लकड़ी बच्ची के पेट में जाकर अटकी थी। वे तत्काल उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। बच्ची दर्द से तड़प रही थी। डॉक्टरों की टीम ने तुरंत उसे एडमिट कर उसका इलाज शुरू किया।

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ऑपरेशन कर लकड़ी निकाली 

अस्पताल की डॉक्टर डॉ. संजना रॉबिंशन के मुताबिक, जब उन्होंने बच्ची को देखा तो तत्काल ऑपरेशन का फैसला किया। घंटों चले ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों की टीम ने लकड़ी को बाहर निकाल लिया। डॉक्टर के मुताबिक बच्ची के पेट में लकड़ी अटक गई थी। अभी फिलहाल उसे वहीं निगरानी में ही रखा गया है।

..तो डैमेज हो सकते थे कई पार्ट
डॉ. संजना ने बताया कि अगर परिजन सही वक्त पर मासूम को अस्पताल लेकर नहीं आते तो न जाने क्या होता। परिजनों ने सबसे सही काम ये किया कि उन्होंने लकड़ी को निकालने  की कोशिश नहीं कि क्योंकि अगर वे उसे खींचकर बाहर निकालते या उसकी कोशिश करते तो बच्ची की बॉडी के कई पार्ट डैमेज हो सकते थे। ऐसे में खून बहता और अनहोनी भी हो सकती थी। लेकिन वे ऐसा करने की बजाय उसे अस्पताल लेकर आए, इसलिए ऑपरेशन कर उसे ठीक कर लिया गया। बच्ची को ऑर्ब्जेशन में रखा गया है। उसके खान-पान का भी ख्याल रखा जा रहा है। जैसे ही वह ठीक हो जाती है, उसे घर भेज दिया जाएगा। 

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