GOOD NEWS: देशभर के अस्पतालों में पीएम केयर फंड से लगेंगे 551 PSA ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट

Published : Apr 25, 2021, 01:32 PM ISTUpdated : Apr 25, 2021, 05:08 PM IST
GOOD NEWS: देशभर के अस्पतालों में पीएम केयर फंड से लगेंगे 551 PSA ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट

सार

भारत में कोरोना संक्रमण से पीड़ित गंभीर मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन मुहैया कराने केंद्र सरकार ने एक अच्छी पहल की है। सरकार ने पीएम केयर फंड से सावर्जनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने 551 डेडिकेटेड प्रेशर स्विंग ऐडसॉर्प्शन मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट(PSA) को मंजूरी दी है। बता दें कि यह प्लांट सिर्फ एक हफ्ते में तैयार हो जाता है। इस पर 40-50 लाख रुपए का खर्चा आता है।

नई दिल्ली. भारत में कोरोना संक्रमण से पीड़ित गंभीर मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन मुहैया कराने केंद्र सरकार ने एक अच्छी पहल की है। सरकार ने पीएम केयर फंड से सावर्जनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने 551 डेडिकेटेड प्रेशर स्विंग ऐडसॉर्प्शन मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट(PSA) को मंजूरी दी है। अभी देश के विभिन्न जिलों के अस्पतालों में 162 प्लांट लगे हुए हैं। बता दें कि यह प्लांट सिर्फ 4-5 हफ्ते में तैयार हो जाता है। इस पर 40-50 लाख रुपए का खर्चा आता है। इन प्लांट के लगने के बाद अस्पताल ऑक्सीजन को लेकर आत्मनिर्भर हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिए कि ये प्लांट जल्द से जल्द लग जाना चाहिए। इससे जिलास्तर पर ऑक्सीजन का प्रोडक्शन बढ़ जाएगा।

जानिए PSA ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट के बारे में
इस समय सरकारी अस्पतालों में 5 प्रतिशत भी खुद के ऑक्सीजन प्लांट नहीं हैं। चूंकि कोरोना संक्रमण इतना भयावह होगा, किसी को अंदाजा नहीं था, इसलिए ऑक्सीजन की कमी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई। ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ा था। इस बीच केंद्र सरकार ने युद्धस्तर पर प्लानिंग शुरू कर दी। PSA प्लांट लगने के बाद देश में आक्सीजन की कमी दूर हो जाएगी। एसोचेम के प्रेसिडेंट विनीत अग्रवाल ने पिछले दिनों मीडिया से कहा था। एक PSA प्लांट 4 हफ्ते में तैयार होता है और एक हफ्ते में इंस्टाल हो जाता है।  PSA PLANT (Pressure Swing Adsorption Oxygen plants) की कॉस्ट 40-50 लाख रुपए तक आती है। ये प्लांट गैस को ही गैस में कन्वर्ट करते हैं। यानी हवा से ऑक्सीजन लेकर पंपों के जरिये सीधे अस्पतालों तक पहुंचा देते हैं। जबकि लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन(LMO) प्लांट में कूलिंग मेथड से बनती है। इसे गैस से लिक्विड में बदला जाता है। इसके बाद टैंकरों के जरिये सप्लाई होती है। ऐसोचेम का मानना है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाना अनिवार्य होना चाहिए। संभावना है कि केंद्र सरकार इस दिशा में भी सोच रही हो।

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