राष्ट्रपति भवन की सैर आज से की जा सकेगी, सिर्फ करना होगा एक काम

राष्ट्रपति भवन और म्यूजियम कॉम्पलेक्स दर्शकों के दीदार के लिए खुल जाएंगे। राष्ट्रपति भवन घूमने के लिए पहले से कार्यक्रम तय होता है। कोरोना महामारी की वजह से इस साल अप्रैल माह में इसे बंद कर दिया गया था। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 1, 2021 3:34 AM IST / Updated: Aug 01 2021, 02:05 PM IST

नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन (President of India's House) की भव्यता और इसके म्यूजियम के बारे में सुनकर एक बार देखने के लिए किसी का भी मन ललच जाता है। एक अगस्त यानी आज से इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। राष्ट्रपति भवन और म्यूजियम को देखा जा सकता है। 

शनिवार-रविवार को घूमकी देखने की अनुमति 

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के मुताबिक सरकारी छुट्टियों को छोड़कर शनिवार-रविवार को अलग-अलग समयावधि में राष्ट्रपति भवन का दीदार किया जा सकता है। इसके लिए अलग-अलग टाइम स्लॉट तय किए गए हैं। एक बार में अधिकतम 25 लोगों को अंदर जाने की इजाजत होगी।

तीन स्लॉट पर अंदर प्रवेश की अनुमति होगी

लोग सुबह 10.30-11 बजे तक पहले स्लॉट में यहां घूम सकेंगे। इसके बाद 12.30-1.30 बजे और 2.30-3.30 बजे के अलग-अलग स्लॉट में राष्ट्रपति भवन जाया जा सकता है।
राष्ट्रपति भवन म्यूजियम कॉम्पलेक्स गैजेटड छुट्टियां छोड़कर हफ्ते में मंगलवार से रविवार यानी 6 दिन खुला रहेगा। इसके लिए भी लोग सुबह साढ़े 9 से लेकर साढ़े 11, साढ़े 11 से 1, डेढ़ से 3 और साढ़े 3 से 5 बजे के बीच स्लॉट बुक कर सकते हैं। अधिकतम 50 लोग दीदार कर सकते हैं।

इस साइट पर जाकर करा सकते हैं स्लॉट बुकिंग

राष्ट्रपति भवन घूमने के लिए पहले से कार्यक्रम तय होता है। अंदर प्रवेश उसी को दिया जाता है जिसका स्लॉट पहले से बुक होता है। स्लॉट बुकिंग के लिए आपको राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर जाना होगा। 
इच्छुक लोग राष्ट्रपति भवन या म्यूजियम कॉम्पलेक्स घूमने के लिए इस वेबसाइट https://rashtrapatisachivalaya.gov.in/ or https://rbmuseum.gov.in/ अपना स्लॉट बुक कर सकते हैं।

जानिए अपने राष्ट्रपति भवन के बारे में

राष्ट्रपति भवन पहले ब्रिटिश वायसराय का निवास स्थान था। इसके वास्तुकार एडविन लैंडसीयर लुट्येन्स थे। ब्रिटिश वायसराय के लिए नई दिल्ली में निवास स्थान निर्माण करने का निर्णय तब लिया गया था जब दिल्ली दरबार में 1911 में यह तय किया गया था कि भारत की राजधानी को उसी वर्ष कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया जाएगा। 

26 जनवरी, 1950 को इसे आजाद भारत के प्रथम व्यक्ति भारत के राष्ट्रपति के लिए सुरक्षित कर दिया गया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने तथा वह भारत के संविधान की संरक्षा, सुरक्षा तथा रक्षा के लिए इस भवन में निवास करना शुरू किया। इसी दिन से इस भवन का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन अर्थात राष्ट्रपति का निवास रखा गया।

इन तथ्यों को जानते हैं आप?

चीफ आर्किटेक्ट एडविन लुट्येन्स व चीफ इंजीनियर ह्यूज कीलिंग के अलावा बहुत से भारतीय ठेकेदार इस इमारत के निर्माण से जुड़े थे। इस भवन के लिए 400000 पौंड की राशि मंजूर की गई थी। परंतु इस इमारत के निर्माण में 17 साल का लम्बा समय लगा, जिससे इसकी लागत बढ़कर 877,136 पौंड (उस समय 12.8 मिलियन) हो गयी।

इस इमारत के अलावा, मुगल गार्डन तथा कर्मचारियों के आवास पर आया वास्तविक खर्च 14 मिलियन था। कहा जाता है कि एडविन लुट्येन्स ने कहा था कि इस इमारत के निर्माण में लगी धनराशि दो युद्ध पोतों के निर्माण में लगने वाली धनराशि से कम थी। यह एक रोचक तथ्य है कि जिस भवन को पूरा करने की समय-सीमा चार वर्ष थी, उसे बनने में 17 वर्ष लगे और इसके निर्मित होने के अट्ठारहवें वर्ष भारत आजाद हो गया।

चार मंजिला है राष्ट्रपति भवन, 340 कमरें

इस विशाल भवन की चार मंजिलें हैं और इसमें 340 कमरे हैं। 200000 वर्गफीट के निर्मित स्थल वाले इस भवन के निर्माण में 700 मिलियन ईंटों तथा तीन मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का प्रयोग किया गया था। 

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