कोविड के नियंत्रण में रणनीतिक विफलता और भारत सरकार के प्रयासों की कमियों को चिंहित करने वाली ‘लैंसेट’ जर्नल की रिपोर्ट पर विशेषज्ञों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। जर्नल की रिपोर्ट को टाटा मेमोरियल सेंटर मुंबई के कैंसर डिपार्टमेंट के डिप्टी डाॅयरेक्टर प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने रिपोर्ट को वैज्ञानिक कम, राजनीति से अधिक प्रेरित बताया है। यह भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक युग में समाचार रिपोर्टाें की याद दिलाता है। इससे देश की छवि को सपेरों और बंजारों वाली छवि थोपने की कोशिश की गई है।
मुंबई। कोविड के नियंत्रण में रणनीतिक विफलता और भारत सरकार के प्रयासों की कमियों को चिंहित करने वाली ‘लैंसेट’ जर्नल की रिपोर्ट पर विशेषज्ञों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। जर्नल की रिपोर्ट को टाटा मेमोरियल सेंटर मुंबई के कैंसर डिपार्टमेंट के डिप्टी डाॅयरेक्टर प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने रिपोर्ट को वैज्ञानिक कम, राजनीति से अधिक प्रेरित बताया है। यह भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक युग में समाचार रिपोर्टाें की याद दिलाता है। इससे देश की छवि को सपेरों और बंजारों वाली छवि थोपने की कोशिश की गई है।
यहां मृत्यु दर सबसे कम फिर भी सवाल क्यों ?
प्रो.पंकज चतुर्वेदी बताते हैं कि यूएसए की जनसंख्या 0.3 बिलियन है। यहां 0.3 मिलियन लोगों की जान कोविड की वजह से गई है। ब्राजिल में 0.2 बिलियन की जनसंख्या है और 1.5 मिलियन ने जान गंवाई है। 0.06 बिलियन जनसंख्या वाले यूके में 127000 लोगों की जान गई है। इसी तरह 0.06 जनसंख्या वाले फ्रांस में 106493 लोगों को कोविड ने छीना है। भारत की विशाल जनसंख्या 1.3 बिलियन है। यहां महज 262000 की जान गई है। यह संभव है आंकड़ा बढ़ सकता है। लेकिन अभी भी हमारे यहां पूरा नियंत्रण में है। आंकड़ों को समझे ंतो केस मृत्यु दर भारत में महज 1.1 प्रतिशत है जोकि यूएसए, यूके, ब्राजील, इटली, जर्मनी से कहीं कम है। कोविड रिकवरी हमारी सारी दुनिया से सबसे अधिक है।
वैक्सीनेशन में हम सबको पीछे छोड़ चुके हैं
यूएसए ने वैक्सीनेशन 14 दिसंबर 2020 से शुरू किया था और 256 मिलियन को वैक्सीनेट किया। यूके ने 21 दिसंबर से 53 मिलियन को वैक्सीन दिया है। आस्ट्रेलिया ने 22 फरवरी से वैक्सीनेशन स्टार्ट किया है और 2 मिलियन को अभी तक दिया जा सका है। भारत में 16 जनवरी 2021 से वैक्सीनेशन शुरू हुआ और अभी तक 180 मिलियन को वैक्सीन लग चुकी है। यह करीब 9 प्रतिशत हुआ।
रिपोर्ट में केंद्रीय सरकार के कोविड को लेकर जागरूकता पर कोई कदम नहीं उठाए जाने के सवाल को भी वह खारिज करते हैं। वह बताते है कि हकीकत यह है कि सरकार ने जागरूकता संबंधी एक पोर्टल बहुत पहले ही लांच किया था। और महामारी की मुख्य वजह वायरस का लगातार म्यूटेट होना है।
बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था वाले भी धराशायी हो गए
टाटा मेमोरियल सेंटर के प्रो.पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि राज्य दूसरी वेव के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि, अगर तैयारियां भी कर लिए होते तो भी छह महीने में कुछ हो नहीं सकता था। केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली के पास बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था होने के बाद भी सबसे अधिक संकट में रहे यहां के लोग। वैश्विक स्तर पर बात करें तो यूएस, फ्रांस, इंटली जैसे देशों के पास दुनिया की सबसे बेस्ट स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बाद सबसे अधिक मौतें हुई।
कुंभ सुपर स्प्रेडर साबित हुआ!
रिपोर्ट के अनुसार कुंभ को सुपर स्प्रेडर बताया गया है। लेकिन इसको समझना होगा। पूरा कुंभ 150 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैला हुआ था। दो मिलियन लोग यहां जनवरी से लेकर अप्रैल तक पहुंचे थे। एक दिन में अधिकतम 3.5 लाख लोग भी पहुंचे। अगर डेंसिटी की बात करें तो एक किलोमीटर में अधिकतम 23 हजार लोग ही रहे। इससे अधिक तो दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में लोग रहते हैं। मुंबई शहर के आंकड़ों के अनुसार यहां तो कुंभ जैसे हालात रोज रहते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा स्लम धारावी में 277136 लोग प्रति स्क्वायर किलोमीटर में रहते हैं।
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