Punjab Election 2022: सिद्धू के आगे चन्नी लाचार, सगे भाई को टिकट नहीं दिला पाए, नाराज चचेरे भाई BJP में चले गए

 मनोहर सिंह पंजाब के हेल्थ विभाग में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के तौर पर पदस्थ थे और खरड़ में कार्यरत रहे। हाल ही में उन्होंने चुनाव को देखते हुए वीआरएस लिया और राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस से टिकट मिल जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Jan 16, 2022 10:28 AM IST / Updated: Jan 16 2022, 04:19 PM IST

चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच कॉल्ड वॉर देखने को मिल रहा है। सिद्धू की टिकट वितरण में इतनी चली कि सीएम चन्नी भी उनके सामने लाचार हो गए। नतीजा ये रहा कि सीएम के दो छोटे भाइयों को कांग्रेस ने टिकट ही नहीं दिया। इस वजह से सीएम के घर में बगावत हो गई है। चार दिन पहले चचेरे भाई जसविंदर सिंह धालीवाल बीजेपी में शामिल हो गए तो अब सगे भाई डॉक्टर मनोहर सिंह ने भी बगावत कर दी। उन्होंने अब बस्सी पठाना से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

बता दें कि मनोहर सिंह पंजाब के हेल्थ विभाग में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के तौर पर पदस्थ थे और खरड़ में कार्यरत रहे। हाल ही में उन्होंने चुनाव को देखते हुए वीआरएस लिया और राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस से टिकट मिल जाएगा। लेकिन, कांग्रेस ने बस्सी पठाना से अपने मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी को टिकट दे दिया है। इस वजह से मनोहर कांग्रेस से नाराज हो गए। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि राज्य में एक परिवार एक टिकट फॉर्मूला के तहत टिकट दिए जा रहे हैं, इसलिए मनोहर का टिकट काट दिया गया। 

तो इसलिए पीछे हटे चन्नी
सूत्रों के मुताबिक, चरणजीत सिंह चन्नी ने पूरजोर कोशिश की थी कि उनके भाई को टिकट मिले। इसके लिए उन्होंने हरसंभव पैरवी की। लेकिन, कांग्रेस ने उनकी हर बात को ये कहकर टाल दिया कि एक परिवार में एक ही व्यक्ति को टिकट दिया जाएगा। वह चाहे सीएम ही क्यों ना हो? पार्टी के इस तर्क के आगे सीएम चन्नी की नहीं चली और उन्हें पीछे हटने पड़ा।

नवजोत के आगे यूं फेल हुए चन्नी
कहा जाता है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पहले ही बस्सी पठाना के मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह जेपी को आशीर्वाद दे दिया थ। जब चन्नी के भाई मनोहर ने पद छोड़ा तो गुरप्रीत के समर्थकों ने एक रैली की थी, इसमें सिद्धू मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। सिद्धू ने तब हाथ खड़ा कराके कहा था कि जेपी ही आपका विधायक रहेगा। अपनी इस बात को पूरा करते हुए उन्होंने सीएम के भाई को टिकट देने की कोशिशों पर पानी फेर दिया। चन्नी को एक बार फिर विरोधी घेर रहे हैं। इनका कहना है कि जब चन्नी अपना घर ही नहीं संभाल पा रहे हैं तो पंजाब को क्या संभालेंगे। घर में बगावत होने पर चन्नी के लिए काफी मुश्किल स्थिति हो रही है। 

मैं आजाद उम्मीदवार उतरूंगा और चुनाव लड़ूंगा: मनोहर
इधर, डॉ. मनोहर ने बताया कि उन्होंने अपने भाई (चन्नी) से बातचीत की है। जब मुझे टिकट नहीं मिला तो मैंने अपना निर्णय उन्हें बता दिया था। मेरा चुनाव लड़ने का निर्णय अडिग है। उन पर परिवार से कोई दबाव नहीं है। मैं बस्सी पठाना की जनता के लिए काम करना चाहता हूं। इसलिए मैंने यह निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि दूसरी कई पार्टियों ने भी उन्हें टिकट के लिए संपर्क किया, लेकिन उन्होंने तय किया कि वह किसी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की बजाय आजाद उम्मीदवार के तौर पर खड़ा होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त समाज मोर्चा उन्हें समर्थन देगा। बता दें कि पंजाब की 22 किसान जत्थेबंदियों ने संयुक्त समाज मोर्चा बना रखा है। माना यह भी जा रहा है कि मनोहर उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। 

कौन हैं मनोहर? 
पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के छोटे भाई हैं। वह पंजाब के हेल्थ विभाग में एसएमओ के पद पर कार्यरत रहे थे। दिसंबर में एसएमओ का पद छोड़ कर राजनीति में सक्रिय हो गए थे। डॉक्टर होने के साथ वह कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में पोस्टग्रेजुएट भी हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से लॉ ग्रेजुएट भी हैं। वह एक एनजीओ भी चलाते हैं, इसका नाम साढी सांझ है। ये फतेहगढ़ साहिब और मोहाली में मेडिकल कैंप लगाता रहा है। मुख्यमंत्री चन्नी के चचेरे भाई जसविंदर सिंह धालीवाल भी मोहाली में रहते हैं और अब बीजेपी से चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

14 फरवरी को मतदान, 10 मार्च को नतीजे
चुनाव आयोग ने 22 जनवरी तक रैली या भीड़ जुटाने पर रोक लगा रखी है। प्रदेश में आचार संहिता भी लागू है। पंजाब में 14 फरवरी को मतदान होगा। वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला था। पार्टी को 77 सीटों पर जीत मिली थी। 20 सीट जीतकर आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी। वहीं, शिरोमणि अकाली दल को सिर्फ 15 और बीजेपी को तीन सीट पर जीत मिली थी। पंजाब में विधानसभा के 117 सीट हैं।

Punjab Election 2022: कांग्रेस की दूसरी लिस्ट पर टिकी सबकी निगाहें, इन 12 विधायकों को सबसे ज्यादा इंतजार

Punjab Election 2022: बिक्रम मजीठिया की फिर मुश्किलें बढ़ीं, अमृतसर में इन धाराओं में FIR, जानें पूरा मामला

आज SIT के आगे पेश होंगे अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया, ड्रग्स मामले को लेकर होगी पूछताछ, HC ने दिए थे आदेश

Punjab Election 2022:बिक्रम मजीठिया का चौंकाने वाला दावा, ‘PM का काफिला रोकना साजिश थी, CM हाउस में बना प्लान’

Share this article
click me!