Buddha Purnima 2024: वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हैं गौतम बुद्ध से जुड़े ये 2 स्थान, कहां दिया पहला उपदेश, कहां हुई मृत्यु?

Published : May 23, 2024, 08:52 AM IST
buddha purnima 2024

सार

Buddha Purnima 2024: आज (23 मई, गुरुवार) वैशाख पूर्णिमा है। ये वैशाख मास का अंतिम दिन है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा का पर्व भी मनाया जाता है। 

Buddha Purnima 2024 Details: हर साल वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि पर बुद्ध जयंती का पर्व मनाया जाता है। इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। इस बार ये पर्व 23 मई, गुरुवार को है। मान्यताएं है कि इसी तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी। बुद्ध के जीवन काल से जुड़े कई स्थान आज भी काफी प्रसिद्ध है। इनमें से कुछ स्थानों को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भी शामिल किया गया है। बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर जानें इन स्थानों के बारे में…

यहां हुआ था गौतम बुद्ध का जन्म
नेपाल में लुंबिनी नाम की एक जगह है। मान्यता है कि यहीं गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। उनके पिता शुद्धोधन यहीं के राजा थे। यहां सम्राट अशोक द्वारा स्थापित स्तंभ भी है। यहीं पर भगवान बुद्ध की माता मायादेवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जिसे देखने लाखों लोग यहां आते हैं। यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत सूची में शामिल किया है।

यहां पाया था बुद्ध ने ज्ञान
जब सिद्धार्थ गौतम ज्ञान की खोज में महल को छोड़कर संसार में निकले तो काफी समय तक वे इधर-उधर भटकते रहे। एक दिन तपस्या करते हुए उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई। ये स्थान बिहार के बोधगया में स्थित है। जिस वृक्ष के नीचे बुद्ध का ज्ञान प्राप्त हुआ, उसे बोधि वृक्ष कहते हैं। ये भी यहां दिखाई देता है। यहां भी सम्राट अशोक ने मंदिर बनवाया था। ये स्थान भी यूनिस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है।

यहां दिया था पहला उपदेश
जब गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई तो उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था। ये स्थान वर्तमान में काशी से लगभग 10 किमी दूर है। यहां सम्राट अशोक ने बुद्ध के सम्मान में एक स्तूप का निर्माण करवाया था। यहां दिए बुद्ध के उपदेश को धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है।

यहां हुआ था निर्वाण
कुशीनगर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लगभग 50 किमी दूर है। मान्यता है कि इसी स्थान पर गौतम बुद्ध ने अपना अंतिम समय बिताया था यहीं उनकी मृत्यु भी हुई थी। बौद्ध धर्म को मानने वाले अनेक लोग यहां आते हैं और स्वयं को धन्य मानते हैं। ये स्थान बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए परम पवित्र है।


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