Bhishma Jayanti 2024: पूर्वजन्म में कौन थे भीष्म पितामह, किसने दिया था उन्हें श्राप, कैसे बने वो गंगा पुत्र?

Published : Feb 03, 2024, 09:55 AM IST
bhishma jayanti 2024

सार

Kab Hai Bhishma Jayanti 2024: भीष्म पितामह महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। इनके जीवन से जुड़ी कईं ऐसी बातें हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है। हर साल माघ मास में इनकी जयंती मनाई जाती है। 

Interesting facts about Bhishma Pitamah: धर्म ग्रंथों के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी को भीष्म पितामह का जन्म हुआ था। इस बार ये तिथि 4 फरवरी, रविवार को है। इसलिए इस दिन भीष्म पितामाह की जयंती मनाई जाएगी। भीष्म पितामह के जीवन से जुड़ी कईं ऐसी बातें हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है, जैसे भीष्म पिछले जन्म में कौन थे, उन्हें किसने श्राप दिया था आदि। आगे जानिए महात्मा भीष्म से जुड़ी रोचक बातें…

पिछले जन्म में कौन थे भीष्म पितामह?
महाभारत में 33 कोटि देवता बताए गए हैं, इनमें वसु भी हैं। इनकी संख्या 8 है, इसलिए इन्हें अष्ट वसु कहा जाता है। इन अष्ट वसुओं ने एक बार ऋषि वशिष्ट की नंदिनी नाम की गाय को चुरा लिया। जब इस बात का पता ऋषि वशिष्ट को चला तो उन्होंने अष्ट वसुओं को मनुष्य रूप में धरती पर जन्म लेने का श्राप दे दिया। बाद में जब वसुओं ने ऋषि वशिष्ट से माफी मांगी तो उन्होंने कहा कि ‘धरती पर तुम आठों देवनदी गंगा के गर्भ से जन्म लोगे। 7 वसु जन्म लेते ही मनुष्य योनी से मुक्त हो जाएंगे, लेकिन द्यौ नामक जो वसु है वह लंबे समय तक पृथ्वी पर ब्रह्मचारी बनकर रहेगा।’ यही द्यौ नामक वसु भीष्म के रूप में जन्में।

जब गंगा ने नदी में बहाया अपने पुत्रों को
महाभारत के अनुसार, एक बार हस्तिनापुर के राज शांतनु गंगा तट पर घूम रहे थे, तभी उन्हें एक देवकन्या दिखाई दी। शांतनु उन्हें देखकर मोहित हो गए और विवाह के लिए प्रस्ताव रखा। तब उस देवकन्या ने कहा कि ‘अगर आप मुझसे कभी कोई प्रश्न न पूछें तो ही मैं आपकी पत्नी बन सकती हूं।’ राजा शांतनु ने ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। विवाह के बाद उस देवकन्या ने एक के बाद एक 7 पुत्रों को जन्म दिया और सभी को गंगा नदी में बहा दिया। वचनबद्ध होने के कारण राजा शांतनु न तो उन्हें रोक पाए न ही कोई प्रश्न कर पाए।

जब राजा शांतनु को पता चली सच्चाई
जब वह देवकन्या अपने आठवें पुत्र को नदी में बहाने ले जा रही थी तो राजा शांतनु से नहीं रहा गया और उन्होंने इसका कारण पूछा। तब उस देवकन्या ने बताया कि ‘मैं देवनदी गंगा हूं और ये मेरे आठों पुत्र अष्ट वसु थे, जो श्राप के कारण मनुष्य रूप में जन्में थे। इनमें से 7 को तो श्राप से मुक्ति मिल गई लेकिन ये आठवां पुत्र पृथ्वी पर ही रहेगा। इतना कहकर गंगा उस आठवें पुत्र को लेकर चली गई बाद में गंगा का यही आठवां पुत्र भीष्म पितामह के रूप में प्रसिद्ध हुआ।


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