क्या था विष्णु का वामन अवतार ? कैसे करें इस अवतार की पूजा ?

सतयुग में प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि ने स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था। सभी देवता इस विपत्ति से बचने के लिए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने कहा कि मैं स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होकर तुम्हें स्वर्ग का राज्य दिलाऊंगा। कुछ समय पश्चात भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया।

Asianet News Hindi | Published : Sep 8, 2019 11:13 AM IST / Updated: Sep 08 2019, 04:45 PM IST

उज्जैन. भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को वामन द्वादशी या वामन जयंती कहते हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान वामन प्रकट हुए थे। इस बार वामन द्वादशी 10 सितंबर, मंगलवार को है। धर्म ग्रंथों में वामन को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। वामन द्वादशी पर आप भी इन आसान तरीकों से भगवान विष्णु की पूजा कर लाभ उठा सकते हैं.... 

 - वामन द्वादशी को पूरा दिन उपवास करना चाहिए। सुबह स्नान करने के बाद वामन द्वादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- दोपहर के समय अभिजित मुहूर्त में भगवान वामन की पूजा कर एक बर्तन में चावल, दही और शक्कर रखकर किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
- शाम के समय फिर से स्नान करने के बाद भगवान वामन की पूजा करनी चाहिए और व्रत कता सुननी चाहिए।  
- इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर खुद फलाहार करें। इससे भगवान वामन प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।


क्या था वामन अवतार ?
- सतयुग में प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि ने स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था। सभी देवता इस विपत्ति से बचने के लिए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने कहा कि मैं स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होकर तुम्हें स्वर्ग का राज्य दिलाऊंगा। कुछ समय पश्चात भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया।
- एक बार जब बलि महान यज्ञ कर रहा था, तब भगवान वामन बलि की यज्ञशाला में गए और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी। राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य भगवान की लीला समझ गए और उन्होंने बलि को दान देने से मना कर दिया, लेकिन बलि नहीं माना तो शुक्राचार्य ने फिर भी भगवान वामन को तीन पग धरती दान में देने का संकल्प ले लिया। भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया।
- जब तीसरा पैर रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पग रखने को कहा। बलि के सिर पर पैर रखने से वह सुतल लोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान ने उसे सुतल लोक का स्वामी बना दिया। इस तरह भगवान वामन ने देवताओं की सहायता कर उन्हें स्वर्ग पुन: लौटाया।


उपाय
हर मंगलवार को भगवान विष्णु के वामन रूप की प्रतिमा की पूजा करें और दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर अभिषेक करें। इससे आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं।

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