गणतंत्र दिवस-2021 याद है न? तभी पहली बार भिंडरावाला 2.0 बोले तो अमृतपाल सिंह के 'वारिस पंजाब दे' के खतरनाक मंसूबे सामने आ गए थे

पंजाब को 'खालिस्तान' की आड़ में आग लगाने की साजिश रचने वाला अमृतपाल सिंह लंबे समय से देश के खिलाफ अपनी प्राइवेट आर्मी तैयार कर रहा था, लेकिन पिछले कुछ समय से अचानक वो खुलेआम धमकियां देने लगा था।

Amitabh Budholiya | Published : Mar 20, 2023 9:31 AM IST / Updated: Mar 22 2023, 10:04 AM IST

चंडीगढ़. पंजाब को 'खालिस्तान' की आड़ में आग लगाने की साजिश रचने वाला अमृतपाल सिंह लंबे समय से देश के खिलाफ अपनी प्राइवेट आर्मी तैयार कर रहा था, लेकिन पिछले कुछ समय से अचानक वो खुलेआम धमकियां देने लगा था। इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को धमकाना भी शामिल है। 'वारिस पंजाब दे' के मुखिया अमृतपाल सिंह एंड कंपनी के खिलाफ पंजाब पुलिस ने शनिवार(18 मार्च) को समूचे पंजाब में "व्यापक राज्यव्यापी घेरा और सर्च ऑपरेशन (CASO)" शुरू किया था।

1. वारिस पंजाब दे के लीडर अमृतपाल के खतरनाक मंसूबों का पहला सबूत अमृतसर में 23 फरवरी 2023 को सामने आया था, जब इसकी अगुवाई में हजारों समर्थकों ने खूब बवाल काटा था। खुलेआम तलवारें-बंदूकें लहराई थीं और बैरिकेड्स तोड़ डाले थे।

2. तब वारिस पंजाब दे के समर्थकों ने अजनाला पुलिस थाने पर कब्जा कर लिया था। वे अमृतपाल के करीबी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। इसके समर्थकों ने पुलिसवालों पर हमला किया था।

3.अमृतपाल को देशविरोधी बनाने में दूसरा सबूत उसे भिंडरावाला 2.0 के रूप में प्रचारित करना रहा। अजनाल हादसे के बाद पंजाब पुलिस ने करीब 23 दिनों तक प्लानिंग की और फिर तबाड़तोफ गिरफ्तारियां शुरू कीं।

4. सितंबर, 2022 को पहली बार अमृतपाल सिंह का नाम सुर्खियों में आया था। दुबई से लौटकर आए अमृतपाल सिंह को 29 सितंबर, 2022 को मोगा जिले के रोडे गांव लौटने पर वारिस पंजाब दे संस्था का लीडर घोषित किया गया था।

5. अमृतपाल सिंह के खतरनाक मंसूबे 3 दिसंबर, 2022 को हिंदू नेता सुधीर सूरी को सरेआम गोलियों से भूनने के बाद और साफ हो गए थे। उसे गोली मारने वाले कपड़ा व्यापारी सन्नी अमृतपाल से इम्प्रेस रहा है।

6. अमृतपाल के खतरनाक मंसूबों को दलजीत सिंह कलसी फाइनेंस कर रहा था। पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि कलसी के पास 2 साल में 35 करोड़ का विदेशी फंड आया। इसके पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से भी कनेक्शन सामने आए हैं।

7. केंद्रीय एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, अमृतपाल नशामुक्ति केंद्रों के जरिये फिदायीन यानी सुसाइड बॉम्बर्स तैयार कर रहा था। विभिन्न सिक्योरिटी एजेंसीज के इनपुट के साथ तैयार एक डोजियर के अनुसार, दुबई से लौटे कट्टरपंथी सिख उपदेशक(Sikh preacher) अमृतपाल कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और खालिस्तान समर्थकों के इशारे पर विदेशों में रहने वाले युवाओं को 'खडकू-khadkoos' या मानव बम बनने के लिए ब्रेनवॉश करने में लगा हुआ था। क्लिक करके पढ़ें

8. केंद्रीय जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान से गैर कानूनी हथियार मंगवाकर इन्हें विभिन्न अड्डों पर जमा कराए जा रहे थे। आरोप है कि वो आनंदपुर खालसा फोर्स(AFP) तैयार कर रहा था। यह सब अमृत संचार के नाम पर हो रहा था।

9.आनंदपुर खालसा फोर्स(AFP) के पास से जो हथियार मिले हैं, उससे पता चलता है कि वारिस पंजाब दे का कनेक्शन खालिस्तान आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से है।

10.अमृतपाल सिंह को हरियाणा के एक व्यापारी ने मर्सिडीज कार गिफ्ट की थी। इसे जनवरी में पंजाब के किसी व्यक्ति ने खरीदा था। कार के पेपर अभी ट्रांसफर नहीं हुई थे। जिस व्यक्ति ने यह कार खरीदी थी, वो रवेल सिंह नशा तस्करी के आरोप में पकड़ा जा चुका है। अमृतपाल के चाचा और ड्राइवर इसी मर्सिडीज से सरेंडर करने पहुंचे थे।

11. पुलिस ने 18 मार्च को अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के लिए बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया था। पुलिस ने वारिस पंजाब दे के कई समर्थकों को हथियार के साथ पकड़ा है।

12. अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में लंदन में भारतीय हाई कमिशन में तोड़फोड़ की गई थी। रविवार शाम सैकड़ों खालिस्तानी समर्थकों ने इसे अंजाम दिया था।

13. वारिस पंजाब दे का नाम पहली बार किसान आंदोलन में 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर हुई हिंसा के दौरान सामने आया था। इसका लीडर दीप सिद्धू हुआ करता था। उस वक्त लाल किले पर खालसा पंथ का झंडा 'निशान साहिब' फहराया गया था। 15 फरवरी, 2022 को कार दुर्घटना में पंजाबी एक्टर सिद्धू की मौत के बाद संगठन की बागडोर अमृतपाल सिंह को सौंपी गई।

14.पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले 30 सितंबर, 2021 को दीप सिद्धू ने वारिस पंजाब दे नाम के इस संगठन की स्थापना की थी।

15. बता दें कि जिस मोगा जिले के रोड में दस्तार बंदी कार्यक्रम यानी अमृतपाल सिंह को वारिस पंजाब दे का ताज पहनाया गया था, वो गांव खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृक गांव है।

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