Hindi Diwas 2022: दुनिया की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है हिंदी, जानिए 3 और कौन भाषाएं हैं इससे पहले

Hindi Diwas 2022: भारत के अलावा हिंदी भाषा को नेपाल, तिब्बत, फिजी, अमरीका, मॉरीशस, फिलीपींस, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, युगांडा, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, त्रिनीदाद, पाकिस्तान और गुयाना जैसे देशों में भी कुछ-कुछ बदलावों के साथ बोला जाता है। 

Asianet News Hindi | / Updated: Sep 11 2022, 01:38 PM IST

ट्रेंडिंग डेस्क। Hindi Diwas 2022: भारत में हिंदी जन-जन की भाषा है। यह देशवासियों को भाषा के जरिए एक सूत्र में पिरोकर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत के संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में  लिखी हिंदी भाषा को इंग्लिश के साथ देश की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया। उस समय से ही हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। 

दरअसल, हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा तो है, मगर दुनिया में तीन और भाषाएं ऐसी हैं, जो इससे भी ज्यादा बोली जाती हैं। अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन ऐसी भाषाएं हैं, जो हिंदी से भी ज्यादा बोली जाती हैं। हिंदी को भारत के अलावा, नेपाल, तिब्बत, फिजी, अमरीका, मॉरीशस, फिलीपींस, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, युगांडा, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, त्रिनीदाद, पाकिस्तान और गुयाना जैसे देशों में भी कुछ-कुछ बदलावों के साथ बोला जाता है। 

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिंदी के एक हजार शब्द, हर साल नए भी जुड़ते हैं 
यही नहीं, फिजी में तो हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। बता दें कि फिजी दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में एक द्वीपीय देश है। दिलचस्प यह है कि हिंदी भाषा के लगभग एक हजार शब्दों को दुनियाभर में मशहूर ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने जगह दी है। यह डिक्शनरी हर साल कुछ नए शब्दों को अपनी डिक्शनरी में जगह देती है। जानकारों की मानें तो मौजूदा समय में हिंदी दुनिया के करीब 30 देशों में पढ़ाई और पढ़ी जा रही है। 

अमरीका में डेढ़ सौ से अधिक संस्थानों में हिंदी में भी पढ़ाई-लिखाई 
हिंदी भाषा के लिए दुनियाभर के करीब सौ विश्वविद्यालयों में पढ़ाई हो रही है और बाकायदा फैकल्टी भी खोली गई है। इसके अलावा, सिर्फ अमरीका में डेढ़ सौ से अधिक ऐसे शिक्षण संस्थान हैं, जहां हिंदी भाषा में भी पढ़ाई-लिखाई हो रही है। जानकारों का यह भी दावा है कि वर्तमान में बोलचाल वाली खड़ी बोली यानी जिस हिंदी को हम लिख-पढ़ और बोल रहे हैं, उसकी शुरुआत वर्ष 1900 में हुई। इस खड़ी बोली हिंदी में पहली कहानी इंदुमती लिखी गई थी। इस कहानी के लेखक किशोरीलाल गोस्वामी थे। इस कहानी की भाषा बहुत हद तक उस जैसी ही है, जो आज हम लिखते-पढ़ते या बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं। 

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