'मैं भैंसों, किताबों और मुर्गों का डाकू हूं' रामपुर उपचुनाव में आजम खान ऐसे खेल रहे इमोशनल कार्ड

यूपी रामपुर उपचुनाव के लिए प्रचार कर रहे सपा नेता आजम खान ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए लोगों से कहते है कि मैं भैंसों, किताबों और मुर्गों का डाकू हूं। आगे कहते है कि या अल्लाह  हिंदुस्तान में लाखों लोग पैदा कर दे जो मुर्गियों, भैंसों की डकैती करें। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 30, 2022 5:28 AM IST

रामपुर: उत्तर प्रदेश की रामपुर विधानसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी आसिम रजा के लिए आजम खान ने प्रचार करना शुरू कर दिया है। वह अपने गढ़ को बचाने के लिए पूरी तरह से जुटे हुए है। रोजाना जनसभाओं में जाकर लोगों से वोट की अपील करने के साथ विपक्ष पर निशाना साधते है। इसके अलावा वह जनसभाओं में जमकर इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं। दरअसल एक जनसभा को संबोधित करते हुए आजम खान का कहना है कि सरकारें बहुत सी आईं, हमारी भी सरकार आई लेकिन अमन, शांति और मोहब्बत थी। इसके आगे कहते है कि हम तो यह जानते ही नहीं थे कि सरकार का यह काम भी है, जैसे- घरों के दरवाजे तोड़ना, घसीट कर थानों में ले जाकर बंद करना, औरतों के चेहरे पर थप्पड़ मारना और बेगुनाहों को महीनों-सालों तक जेल में बंद रखना। 

दो पैन कार्ड नहीं है, पासपोर्ट खारिज होने के बाद बना दूसरा
सपा के वरिष्ठ नेता आगे कहते है कि मैं अपने बच्चे की उम्र साबित नहीं कर सकता। उसे पैदा करने वाली उसकी मां की उम्र साबित नहीं कर सकती। यह हमारी बदकिस्मती नहीं है तो क्या है? ऐसा कहा गया कि उसके दो पैन कार्ड हैं लेकिन नहीं है। इतना ही नहीं कहा तो यह भी गया है कि उसके दो पासपोर्ट है लेकिन नहीं है। जब एक  खारिज हुआ है तब दूसरा बना है। आजम खान कहते है कि मैं चोर हूं, बकरी का डाकू हूं, फर्नीचर का डाकू हूं, भैंस का डाकू हूं, मुर्गो का डाकू हूं और किताबों का डाकू हूं। सरकार पर तंज कसते हुए कहते है कि या अल्लाह हिंदुस्तान में ऐसे लाखों लोग पैदा कर दे जो मुर्गियों की डकैती करें, भैंस की डकैती करें, किताबों की डकैती करें, मशीन की डकैती करें और यूनिवर्सिटी बना दें।

सरकार बनने पर समझा था यह सब काम है कराने
आजम खान कहते है कि हमने तो यह समझा था कि हम विधायक हो गए, सांसद हो गए और मंत्री हो गए तो हमें सड़के बनानी है, इमारतें बनानी है, पेंशन करानी है, पुलिया बनानी है, बेरोजगारों को रोजगार दिलवाना है। जिनके पास घर नहीं है और उन्हें घर दिलवाना है। उन्होंने कहा कि काश अगर हमें यह मालूम हुआ होता कि सरकारों का यह काम भी है तो मेरे अजीजों मेरे 50 साल के सियासी सफर और चार बार के सियासी ताकत में वह कर सकता था जो एक नई तारीख में दर्ज होता। इसके अलावा वह फिर कहते है कि लेकिन मैं गली का वह बीमार कुत्ता नहीं था, जिस पर कोई पत्थर उठाने से भी डरता था कि इस बीमार कुत्ते के कीड़े हमारे जिस्म पर न लग जाएं। क्या कोई सियासत इतनी गंदी और खारीज हो सकती है। क्या कोई शख्स इतना गिर सकता है। 

जेल में बिताए दिनों को याद कर बताई दास्तां
सपा नेता आजम खान ने कहते है कि कौन सी बर्बादी का इंतजार कर रहे हो। कौन सी तबाही का इंतजार कर रहे हो। दरवाजे पर रोज दस्तक होती है। 24 मुकदमों में तारीख और अगले दिन 25 मुकदमों में तारीख है। इस सजा को भुगतने के लिए कई जिंदगियां जाएंगी। मुझे खो देने के बाद तुम कभी खुश नहीं रह सकते, आबाद नहीं रह सकते। आगे कहते है कि बहुत चिराग जलाए इस रोशनी के लिए। साल 1980 से पहले यहां सिर्फ दो इमारतें थी। भावुक होकर कहते है कि मेरा बच्चा दिल्ली में है और वकीलों से सलाह कर रहा है कि जेल के दरवाजे हमारा इंतजार कर रहे हैं। आजम कहते है कि मैं कैसा बदनसीब पिता हूं, कैसी बदनसीब उसकी मां है, यहां से कितने लोग और कितने मां-बाप हैं जो ऐसे जुर्म करते हैं। जो हमने किया भी नहीं और सजा भी इतनी संगीन कि 27 महीने कालकोठरी में रखा। एक-एक पल एक-एक साल के बराबर था। मैं आपके सामने खड़ा हूं, यह चोर आपके सामने खड़ा है। इस पूरे शहर को बनाने वाला चोर आप सबके सामने खड़ा है।

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