उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद (Morodabad) जिले में डॉक्टरों (Doctors) की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है( यहां सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को प्राइवेट और सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया, जिसके बाद उसे मोर्चुरी में रख दिया गया। अगले दिन सुबह घायल व्यक्ति को मोर्चुरी में सांस लेते देखा गया। जैसे ही इस बात की जानकारी डॉक्टरों को मिली पूरे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मुरादाबाद। यूपी (UP) के मुरादाबाद ( Moradabad) में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक जिंदा शख्स को 3 अस्पतालों के डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद उसे पोस्टमॉर्टम के लिए मोर्चुरी भेज दिया गया। करीब 7 घंटे बाद जब पुलिस पंचनामा के लिए अस्पताल की मोर्चुरी पहुंची और शरीर पर चोट के निशान देखना शुरू किया। इसी बीच, एहसास हुआ कि इस शख्स की सांस चल रही है। यह सुनकर एक बार तो डॉक्टर्स को भी भरोसा नहीं हुआ। बाद में चेकअप किया तो ये शख्स जिंदा निकला। फिलहाल, उसकी गंभीर हालत को देखते हुए मेरठ मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया गया।
दरअसल, श्रीकेश गौतम (Shrikesh Gautam) मुरादाबाद में नगर निगम में कर्मचारी हैं। गुरुवार देर रात वे घर से दूध लेने के लिए निकले थे। जब वे मंडी समिति के पास सड़क पार कर रहे थे, तभी बाइक सवार ने सामने से टक्कर मार दी। जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए। परिजनों को सूचना मिली तो मौके पर पहुंचे। परिजन ने श्रीकेश को एक के बाद एक तीन निजी अस्पतालों में इलाज के लिए लेकर गए। अस्पताल के डॉक्टर्स ने चेकअप के बाद श्रीकेश को मृत घोषित कर दिया। परिजन शव का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए देर रात ही जिला अस्पताल लेकर आए। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर मनोज ने भी श्रीकेश का चेकअप करने के बाद मृत घोषित कर दिया और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मॉर्चुरी में भिजवा दिया।
अचानक चलने चलीं सांसें, डॉक्टर ने देखा तो भर्ती किया
मामला शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे का है। पुलिस पंचनामा बनाने की तैयारी कर रही थी, तभी अहसास हुआ कि इस मृत व्यक्ति की तो सांस चल रही है। परिजन ने तुरंत जिला अस्पताल में सूचना दी। एक डॉक्टर ने चेकअप किया तो श्रीकेश के जिंदा होने की पुष्टि की और तुरंत उपचार के लिए भर्ती किया। फिलहाल, अब हालत स्थिर है। श्रीकेश के जीजा का कहना था बताया कि रात 11 बजे मुझे फोन आया कि एक्सीडेंट हो गया है तो मैं गाड़ी लेकर पहुंचा। सबसे पहले हॉस्पिटल ब्राइट स्टार के डॉक्टर ने कह दिया कि हमारे यहां सुविधा नहीं है। इसके बाद साईं हॉस्पिटल लेकर गए। वहां डॉक्टरों की टीम आ गई लेकिन उनके यहां वेंटिलेटर नहीं था। उन्होंने कहा कि कॉसमॉस ले जाओ। लेकिन हम विवेकानंद लेकर गए। वहां पर इमरजेंसी में एक डॉक्टर थे। उन्होंने चेकअप किया और ट्रीटमेंट तो नहीं दिया और मशीन लगाकर बोले- ना तो पल्स है, ना बीपी है। फिर बोले- यह खत्म हो गए। तब हम ऐसे ही एंबुलेंस लेकर जिला अस्पताल लाए, क्योंकि यह सरकारी अस्पताल है। यहां भी इमरजेंसी में एक डॉक्टर थे। पूरा मामला हमने उन डॉक्टर को बताया। फिर उन्होंने कहा कि बॉडी को मॉर्चुरी में रखवा दो। फिर हम श्रीकेश को मॉर्चुरी में रखवाकर आए।
परिजन बोले- ये तो लापरवाही है...
बहनोई का कहना था कि श्रीकेश की पत्नी एक निजी अस्पताल में नौकरी करती हैं। हादसे की सूचना के बाद श्रीकेश की पत्नी उपचार के लिए अस्पताल में लेकर पहुंचीं, जहां कुछ देर बाद डॉक्टरों ने श्रीकेश को मृत घोषित कर दिया था, उसके बाद उसे अलग-अलग अस्पतालों में भी ले जाया गया। वहां भी श्रीकेश को मृत घोषित कर दिया गया। परिजन शव का पोस्टमॉर्टम कराना चाहते थे तो शव को मॉर्चुरी में पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया, लेकिन सुबह जानकारी मिली कि श्रीकेश की सांसें चल रही हैं और वह जिंदा हैं। ये लापरवाही है।
डॉक्टर ने पूरा चेकअप किया, मृत थे: सीएमएस
इस संबंध में जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. शिव सिंह का कहना था कि श्रीकेश को उपचार के लिए जिला अस्पताल लाया गया था और उस समय ड्यूटी डॉक्टर मनोज यादव ने पूरा चेकअप किया, उसके बाद मृत घोषित किया था और पोस्टमॉर्टम कराने के लिए देर रात मॉर्चुरी में भेजा गया। पुलिस को भी सूचना दे दी थी।
इस वजह से आई होगी जान
सीएमएस के मुताबिक, परिवार के लोगों का भी कहना था कि जिला अस्पताल लाने से पहले और कई अस्पतालों में भी श्रीकेश को मृत घोषित किया गया था। ऐसे केस बहुत रेयर होते हैं। ऐसे केस में जब कभी-कभी व्यक्ति को चोट लगती है और उसको दवाएं दी जाती हैं तो उनका असर बहुत देर बाद देखने को मिलता है, उस समय ऐसा महसूस होता है कि व्यक्ति की मौत हो चुकी है। इस केस में भी यही हुआ है और दवाओं का असर बहुत देर के बाद हुआ। शायद इसकी वजह से एक बार फिर से उनकी सांस चलने लगीं।
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