दुनिया भर में ज्योतिष की अनेक विधाएं हैं, इनमें से अंक ज्योतिष भी एक है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि अंक ज्योतिष में अंकों के माध्मय से भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जाना जा सकता है।
अंक ज्योतिष का अपना अलग महत्व है। इसका मूल आधार जन्म तारीख यानी डेट ऑफ बर्थ है। अंक शास्त्र में जन्म तारीख के सभी अंकों को जोड़कर एक लकी नंबर निकाला जाता है, जिसे मूलांक कहते हैं।
अंक ज्योतिष का आधार भी ग्रह ही हैं क्योंकि इसमें हर अंक किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही इसमें प्रीडिक्शन भी की जाती है। अंक शास्त्र को ही न्यूमरोलॉजी भी कहते हैं।
अंक ज्योतिष से भी आने वाले भविष्य के बारे में काफी कुछ पता लगाया जा सकता है। ये विधा भी बिल्कुल वैदिक ज्योतिष की तरह की काम करती है। इसका मूल आधार जन्म तारीख यानी डेट ऑफ बर्थ है।
अंक ज्योतिष का महत्व ठीक वैसा ही है जैसा वैदिक ज्योतिष का है। अंक ज्योतिष के अनुसार, 1 से लेकर 9 तक हर अंक एक विशेष ग्रह से संबंधित होता है और उसी से प्रभावित होकर फल प्रदान करता है।
अंकों का चलन काफी समय पहले से है क्योंकि हमारे पूर्वजों ने कई सदियों पहले से ही ग्रह और नक्षत्रों की गणना कर ली थी। यही अंक आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। अंक शास्त्र से भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जाना जा सकता है।
अंक ज्योतिष वैसे तो प्राचीन विधा है और ये भारत से ही संबंधित है लेकिन वर्तमान में इसका नया स्वरूप देखने को मिल रहा है। अंक ज्योतिष में मूलांक, जन्मांक और भाग्यांक निकालकर प्रीडिक्शन की जाती है।
अंक शास्त्र को ही न्यूमरोलॉजी कहते हैं। इस विधा में जन्म तारीख के अंकों को जोड़कर मूलांक निकाला जाता है, जिसे लकी नंबर भी कहते हैं। इसी अंक के आधार पर व्यक्ति के भूत- भविष्य और वर्तमान की गणना की जाती है।
अंक ज्योतिष का अपना अलग महत्व है। वैसे तो दुनिया भर में ज्योतिष से जुड़ी कई विधाएं प्रचलित हैं, लेकिन इन सभी में अंक ज्योतिष का बहुत खास है। इस ज्योतिष विधा का मुख्य आधार डेट आफ बर्थ यानी जन्म तारीख है।
अंक ज्योतिष वैसे तो काफी प्राचीन हैं, लेकिन वर्तमान में ये एक नए रूप में प्रचलन में आया है। अंग्रेजी में इसे न्यूमरोलॉजी भी कहते हैं। ये विधा अब यूरोपीय देशों में भी काफी प्रसिद्ध हो चुकी है। लोग इस विधा को काफी मानते हैं।