अंक ज्योतिष से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में जाना जा सकता है। इसमें विधा में जन्म तारीख के अंकों को जोड़कर मूलांक जिसे लकी नंबर भी कहते हैं, निकाला जाता है। इसी के आधार पर प्रीडिक्शन की जाती है।
अंक ज्योतिष का अपना अलग महत्व है। ये भी अन्य ज्योतिष विधाओं की तरह ही होता है, लेकिन इसका मूल आधार डेट ऑफ बर्थ यानी जन्म तारीख होता है। आजकल इतना चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है।
अंक ज्योतिष का अपना अलग महत्व है। इस विधा में भी अन्य ज्योतिष विधाओं की तरह आने वाले भविष्य के बारे में बताया जाता है। इसका मूल आधार डेट ऑफ बर्थ है यानी जन्म तारीख। इसी के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है।
जीवन के हर क्षेत्र में अंकों का अपना महत्व है। इसके बिना जीवन के बारे में काफी कठिन है। अंक न सिर्फ हमारा जीवन आसान करते हैं बल्कि हमारे भविष्य के बारे में भी काफी कुछ बताते हैं। इसे अंक ज्योतिष कहते हैं।
अंक शास्त्र एक पुरानी विधा है जो समय के साथ लुप्त हो गई थी, लेकिन वर्तमान में एक बार फिर से चलन में आ गई है। अंक शास्त्र के आधार जन्म तारीख या डेट ऑफ बर्थ है। इसी के आधार पर मूलांक यानी लकी नंबर निकाला जाता है।
अंक शास्त्र में कई तरह से भविष्यवाणी की जाती है जैसे नामांक, मूलांक, भाग्यांक आदि के आधार पर। ये सभी जन्म तारीख यानी डेट ऑफ बर्थ के अंकों को अलग-अलग तरीके से जोड़कर निकाले जाते हैं।
अंक ज्योतिष भी अन्य विधाओं की तरह भविष्य में आने वाली संभावित घटनाओं के बारे में हमें पहले से ही बता देता है। वैसे तो ये एक प्राचीन विधा है, लेकिन हाल ही में इसका चलन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।
अंक ज्योतिष भी अन्य ज्योतिष विधाओं की ही तरह संभावित भविष्य के बारे में बताता है। समय के साथ इसका चलन भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसमें प्रीडिक्शन का आधार जन्म तरीख यानी डेट ऑफ बर्थ होती है।
अंक ज्योतिष का चलन भले ही अभी अधिक हो रहा है, लेकिन ये एक प्राचीन विधा है जो भारत से ही शुरू हुई थी। धीरे-धीरे ये दूसरों देशों में चली गई। इसका संबंध ग्रहों से भी है, इसी के अनुसार प्रीडिक्शन किया जाता है।
अंक ज्योतिष भी अन्य विधाओं की तरह ही लोगों के भविष्य के बारे में बताता है। वैसे तो ये एक प्राचीन विधा है, लेकिन इसका चलन वर्तमान में अधिक हो रहा है। इस पर अप्रत्यक्ष रूप से वैदिक ज्योतिष का भी प्रभाव है।