अंक शास्त्र वैसे तो काफी पुराना है लेकिन वर्तमान में इसका चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। अंक शास्त्र के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के भूत- भविष्य और वर्तमान के बारे में आसानी से जाना जा सकता है।
अंकों का प्रचलन सदियों से है। हिंदू धर्म ग्रंथों में अंकों से संबंधित अनेक प्रसंग मिलते हैं। इसलिए ये नहीं कह सकते है कि अंकों की उत्पत्ति कुछ समय पहले हुई है। अंकों से भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में भी जाना जा सकता है।
अंक शास्त्र भी अन्य ज्योतिष विधाओं की ही तरह हमें आने वाले भविष्य के बारे में बताता है। वैसे तो काफी प्राचीन विधा है, लेकिन वर्तमान में इसका चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। महानगरों में इसे मानने वाली काफी अधिक हैं।
अंक ज्योतिष हमारे लिए बहुत उपयोगी है। इससे हम भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकते हैं। इसका चलन महानगरों में तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। इस पर वैदिक ज्योतिष का प्रभाव भी होता है।
अंक ज्योतिष से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में जाना जा सकता है। इसमें विधा में जन्म तारीख के अंकों को जोड़कर मूलांक जिसे लकी नंबर भी कहते हैं, निकाला जाता है। इसी के आधार पर प्रीडिक्शन की जाती है।
अंक ज्योतिष का अपना अलग महत्व है। ये भी अन्य ज्योतिष विधाओं की तरह ही होता है, लेकिन इसका मूल आधार डेट ऑफ बर्थ यानी जन्म तारीख होता है। आजकल इतना चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है।
अंक ज्योतिष का अपना अलग महत्व है। इस विधा में भी अन्य ज्योतिष विधाओं की तरह आने वाले भविष्य के बारे में बताया जाता है। इसका मूल आधार डेट ऑफ बर्थ है यानी जन्म तारीख। इसी के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है।
जीवन के हर क्षेत्र में अंकों का अपना महत्व है। इसके बिना जीवन के बारे में काफी कठिन है। अंक न सिर्फ हमारा जीवन आसान करते हैं बल्कि हमारे भविष्य के बारे में भी काफी कुछ बताते हैं। इसे अंक ज्योतिष कहते हैं।
अंक शास्त्र एक पुरानी विधा है जो समय के साथ लुप्त हो गई थी, लेकिन वर्तमान में एक बार फिर से चलन में आ गई है। अंक शास्त्र के आधार जन्म तारीख या डेट ऑफ बर्थ है। इसी के आधार पर मूलांक यानी लकी नंबर निकाला जाता है।
अंक शास्त्र में कई तरह से भविष्यवाणी की जाती है जैसे नामांक, मूलांक, भाग्यांक आदि के आधार पर। ये सभी जन्म तारीख यानी डेट ऑफ बर्थ के अंकों को अलग-अलग तरीके से जोड़कर निकाले जाते हैं।