ऑटो डेस्क : आज सबसे महंगी और लग्जरी कारों का नाम आते ही BMW जेहन में आ जाता है। इस कंपनी की शुरुआत पहले वर्ल्ड वॉर के दौरान हुई थी। तब यह फाइटर प्लेन का इंजन बनाया करती थी। इसके बाद मोटरसाइकिल और अब कार बना रही है। जानिए इसका दिलचस्प इतिहास...
महिंद्रा को ज्यादातर लोग ऑटो सेक्टर की कंपनी ही जानते हैं लेकिन ये ग्रुप 22 अलग-अलग तरह की इंडस्ट्रीज में काम करती है। महिंद्रा की कंपनी टेक महिंद्रा की दुनियाभर में पहचान है। बहुत कम लोग ही कंपनी M&M का पूरा नाम जानते हैं।
ट्रक के पीछे 'Horn OK Please' लिखा तो हम सब देखते हैं लेकिन इसका सही-सही मतलब बहुत ही कम लोगों को पता होता है। तीन शब्द की इस लाइन के एक-एक वर्ड का अपना मतलब होता है। एक तो सेकेंड वर्ल्ड वार से ही चला आ रहा है।
देश-दुनिया में आए दिन रोड एक्सीडेंट की वजह से बड़ी संख्या में जान जाती है। रात में नींद आने की वजह से सड़क हादसे ज्यादा ही होते हैं। इंजीनियरिंग के 5 छात्रों ने ऐसी डिवाइस तैयार की है, जो रोड एक्सीडेंट कम करने में मदद कर सकता है।
वैल्यू बेस्ड ब्रांड रैंकिंग एजेंसी ब्रांड फाइनेंस की इस साल की ग्लोबल ऑटोमोबाइल ब्रांड की रैंकिंग सामने आ गई है। इस लिस्ट में नंबर वन पोजिशन पर टेस्ला है। टेस्ला मर्सिडीज-बेंज और टोयोटा को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे वैल्यूएबल ऑटोमोटिव ब्रांड बन गया है।
मोटर व्हीकल एक्ट में समय-समय पर संशोधन होते रहते हैं। सड़क हादसों को कम करने और आपके सफर को सुरक्षित बनाने के लिए कई नियम लाए जाते हैं। कई बार ट्रैफिक नियमों को लेकर अफवाह भी उड़ते हैं। जिसको लेकर कई लोग कंफ्यूज हो जाते हैं।
आज से सेकेंड हैंड कार खरीदने और बेचने का नियम भी बदल गया है। सेकेंड हैंड कार खरीदने और बेचने वाले डीलरों की प्रामाणिकता की पहचानके लिए नया नियम लाया गया है। इस नियम के अनुसार, डीलरों की सही पहचान के लिए एक विशेष सर्टिफिकेट देना होगा।
ऑटो डेस्क : 1 अप्रैल से ऑटो सेक्टर में कई तरह के बदलाव होने जा रहे हैं। कई गाड़ियां बंद हो जाएंगी तो कुछ के दाम बढ़ जाएंगे। इन्हीं में एक स्क्रैपीज पॉलिसी (scrappage policy) भी है। जिसमें 15 साल से पुरानी गाड़ियां कबाड़ हो जाएंगी। आइए जानते हैं...
अगर आप कार या बाइक खरीदना चाहते हैं तो जल्दी से जल्दी खरीद लें क्योंकि टाटा, मारुति सुजुकी और होंडा जैसी कंपनियां अप्रैल से अपनी गाड़ियों के दाम बढ़ाने जा रहे हैं। जिसके बाद कई मॉडल्स महंगे हो जाएंगे।
महिला जिस ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनिंग करती थी, वहां के लोग उससे बोल नहीं पाते थे कि उसे ड्राइविंग छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि हर बार टेस्ट में फेल होने के बाद वह दोगुने जज्बे से साथ वापस लौटती थीं। यही जज्बा रहा कि आखिरकार महिला को डीएल मिल गया।