सार
कार टो करने के पीछे कई कारण होते हैं। अगर आप अपनी कार किसी गलत जगह यानी नो पार्किंग जोन में खड़ी कर देते हैं तो पुलिस उसे उठा सकती है। इसके अलावा अगर पुलिस को संदेह है कि आपकी गाड़ी किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल रही है तो वह उसे टो कर सकती है।
ऑटो डेस्क : सड़क किनारे अगर बिना पार्किंग कार खड़ी कर दी जाए तो ट्रैफिक पुलिस उसे उठा ले जाती है। दरअसल, आजकल पार्किंग की समस्या की वजह से कई बार घर, ऑफिस या मार्केट में किसी किनारे बहुत से लोग अपनी गाड़ी खड़ी कर देते हैं। जिसके बाद पुलिस उनकी गाड़ी को उठा (Towing Rules) ले जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब ऐसी कंडीशन आए तो अपनी गाड़ी कैसे वापस पा सकते हैं? गाड़ी उठाते वक्त अगर उसमें कोई डैमेज आती है तो उस नुकसान की भरपाई कौन करता है? जानें ऐसे ही सवालों के जवाब...
ट्रैफिक पुलिस क्यों उठाती है कार
कार टो करने के पीछे एक नहीं कई कारण होते हैं। अगर आप अपनी कार किसी गलत जगह यानी नो पार्किंग जोन में खड़ी कर देते हैं तो पुलिस उसे उठा सकती है। इसके अलावा अगर पुलिस को संदेह है कि आपकी गाड़ी किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल रही है तो वह उसे टो कर सकती है।
पुलिस जिन कारों को उठाती है, उन्हें कहां ले जाती है
पुलिस नो पार्किंग से कार को टो करने के बाद आमतौर पर पुलिस थाने या किसी निर्धारित जगह ही ले जाती है। अगर आपकी कार पुलिस ने टो कर ली है तो आप पुलिस कंट्रोल रूम में कॉल कर इसकी जानकारी ले सकती हैं लेकिन आपकी कार कहां ले जाई गई है। आप चाहें तो नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर भी इसकी जानकारी ले सकते हैं। अगर लोकेशन पर कोई पुलिस वाला नजर आ रहा है तो उससे भी पूछ सकते हैं कि आपकी गाड़ी टो कर कहां ले जाई गई है।
टो हुई कार कैसे वापस मिलेगी
टो की गई कार को आप पुलिस स्टेशन जाकर वापस पा सकते हैं। इसके लिए आपको यातायात नियमों का उल्लंघन करने के लिए जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इसके बाद आप कार लेकर आ सकते हैं। इसमें किसी तरह की झंझट पुलिस नहीं करती है।
टो करते समय कार डैमैज हो जाए तो कौन भरपाई करेगा
नो पार्किंग जोन से अगर कोई कार उठाई गई और पुलिस की लापरवाही से उसमें डेंट आ गया या वह डैमेज हो गई तो ज्यादातर मामलों में कार मालिक को ही इसकी भरपाई करनी पड़ती है। कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि पुलिस की लापरवाही से अगर कार को नुकसान पहुंचता है तो पुलिस विभाग को इसका नुकसान देना चाहिए। साल 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऐसे ही मामले में फैसला सुनाया था कि अगर कार मालिक की गाड़ी को टो करते समय कोई भी नुकसान होता है तो टोइंग ऑपरेटर से मुआवजे का दावा कर सकते हैं। मतलब अगर आपकी कार ऐसी कंडीशन में डैमेज होती है तो आपको क्लेम पाने के लिए कोर्ट जाना होगा।
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