सार

रामविलास पासवान के भाई और सांसद पशुपति पारस ने एक दिन पहले सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को बड़ा भाई बताते हुए उनके कार्यकाल की तारीफ की थी।  

पटना। एलजेपी सांसद और पार्टी चीफ चिराग पासवान (LJP Chief Chirag Paswan) के चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) का एक बिहार में राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इसे लेकर कई मायने भी निकाला जाने लगा है। इसी में से एक पार्टी संस्थापक रामविलास पासवान (RamVilas Paswan) के निधन के बाद पारिवारिक कलह के रूप में भी देखा जा रहा है। हालांकि पारस ने बाद में अपनी बात संभालने की कोशिश की और मीडिया पर ठीकरा फोड़ दिया। दरअसल, पासवान के भाई और सांसद पशुपति पारस ने एक दिन पहले सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को बड़ा भाई बताते हुए उनके कार्यकाल की तारीफ की थी। 

नीतीश से मुलाक़ात की बात के साथ उन्होंने यह भी कहा था कि वो 20 अक्तूबर के बाद तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे। अब वो किन मुद्दों पर बात रखने वाले थे इसे लेकर लोगों ई जिज्ञासा बढ़ गई। हालांकि शाम तक पारस ने बयान पलट दिया और कहा कि मीडिया ने उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया। शाम की प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष और भतीजे सांसद प्रिंस राज की मौजूदगी में कहा कि नीतीश के शासनकाल में कोई विकास नहीं हुआ। 

एलजेपी के स्टैंड से अलग थी नीतीश की तारीफ 
बताया जा रहा है कि पासवान के घर में राजनीतिक वर्चस्व को लेकर थोड़ी-बहुत सुगबुगाहट है। चिराग से बातचीत के बाद शाम को पारस ने अपना बयान बदला। पासवान के दामाद अनिल साधु पहले ही चिराग के वर्चस्व की वजह से पार्टी से बाहर जा चुके हैं। अनिल, रामविलास की विरासत पर दावा भी करते हैं। पशुपति पारस नीतीश की कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं। पारस की ओर से नीतीश की तारीफ एलजेपी के स्टैंड से अलग थी। चिराग ने जेडीयू और नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। 

चिराग के साथ खड़े थे पासवान 
निधन से पहले रामविलास ने भी चिराग को बच्चा समझने वालों को चेतावनी दी थी और साफ कहा था कि पार्टी के सारे फैसले चिराग लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके बाद चिराग ने बिहार फ़र्स्ट बिहारी फ़र्स्ट विजन को लेकर एनडीए में दबाव बनाया। वो पार्टी की भूमिका बढ़ाने की मांग कर रहे थे। नीतीश ने जब उनको तवज्जो नहीं दी तो वो एनडीए छोडकर खुलकर मैदान में उतर गए हैं। 

चिराग की राजनीति पर सबकी नजर 
हालांकि चिराग ने अब तक बीजेपी और उसके केंद्रीय नेतृत्व की आलोचना नहीं की है। खुद को पीएम मोदी का भक्त बताते हुए चुनाव बाद बिहार में बीजेपी संग सरकार बनाने का दावा किया है। चुनाव में एलजेपी जेडीयू कोटे की सीटों पर लड़ रही है। कई दिग्गज बीजेपी बागियों को भी टिकट दिया गया है। बीजेपी कोटे की कुछ सीटों पर भी उम्मीदवार उतारे गए हैं पर एलजेपी चीफ ने कहा कि यहां दोस्ताना फाइट है। पार्टी में चिराग की पकड़ मजबूत है। मगर घर की गतिविधि के साथ उनकी राजनीति पर सबकी नजरें रहेंगी। देखना दिलचस्प होगा कि रामविलास पासवान के बाद बिहार में एलजेपी का क्या भविष्य होगा।