सार

शरद यादव से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी हिंदुस्तान को बांटकर सबको लड़ाने का काम कर रही है। देश में सिर्फ नफरत की राजनीति हो रही है। इसके खिलाफ एक लड़ाई की जरुरत है।

पटना : शुक्रवार को देश की सियासत में उस वक्त हलचल देखने को मिली जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अचानकर RJD नेता शरद यादव (Sharad Yadav) से मिलने दिल्ली स्थित उनके निवास पहुंच गए। इस दौरान कांग्रेस के कई और वरिष्ठ नेता भी उनके साथ थे। इस मुलाकात के बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कोई इसे थर्ड फ्रंट की कवायद से जोड़कर देख रहा है तो कोई बिहार (Bihar) की राजनीति में नए समीकरण की तलाश में जुट गया है। हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि यह मुलाकात विपक्षी एकता को बढ़ाने के लिए की गई है।

बीजेपी-संघ पर निशाना
इस मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने केंद्र की भाजपा सरकार और संघ पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान को बांटकर लड़ाया जा रहा है। बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग नफरत फैला रहे हैं। उनका सिर्फ एक ही मकसद है सत्ता में बने रहना। इस दौरान उन्होंने मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर भी जारी विवाद पर सरकार को घेरा।

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क्या है सियासी मायने

जानकार बताते हैं कि अब तक थर्ड फ्रंट से गायब कांग्रेस खुद विपक्ष एकता को एकजुट करने में जुट गई है। ताकि भविष्य में बाकी दलों के साथ बीजेपी का मुकाबला किया जा सके। चूंकि कई राज्यों से कांग्रेस का सफाया हो गया है और वह काफी कमजोर भी हो गई है, इसलिए उसे बाकी दलों की भी जरुरत है। वहीं कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार में इस वक्त लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की पार्टी RJD से कांग्रेस की अनबन चल रही है। विधान परिषद चुनाव भी कांग्रेस महागठबंधन से अलग होकर लड़ी। ऐसे में वहां के सियासी समीकरण को साधने वह फिर से महागठबंधन की एकजुटता की कोशिश में है। चूंकि शरद यादव इस एकजुटकता की कड़ी हो सकते हैं इसलिए राहुल गांधी की इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। 

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हाल ही में आरजेडी के हुए हैं शरद यादव

बता दें कि शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय जनता दल में 20 मार्च को विलय हुआ है। शरद बिना शर्त लालू के साथ आए हैं। कुछ दिन पहले ही दिल्ली में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी शरद यादव ने मुलाकात की थी, उसके बाद से ही कई तरह की सियासी अटकलें चल रही थी। शरद यादव ने 2018 में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से नाराज होकर अलग पार्टी बना ली थी। इसके बाद उनकी लालू यादव से करीबी बढ़ी।

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