सार
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मुकेश सहनी ने भाजपा को समर्थन दिया। बाद में अलग हो गए। 2019 के लोकसभा चुनावों की घोषणा से कुछ महीने पहले ही नवंबर 2018 में अपनी अलग पार्टी VIP की घोषणा की। 2020 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी मंत्री बनाए गए।
पटना : बिहार (Bihar) की राजनीति में अपने बयानों से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को लगातार असहज कर रहे मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) ने भी सोचा भी न होगा कि कभी उनको इस दिन का सामना भी करना पड़ेगा। भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ मिलकर ऐसा दांव खेला कि सहनी चारों खाने चित हो गए। कहा जा रहा है कि विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को तोड़ने की स्क्रिप्ट होली से एक दिन पहले ही सीएम हाउस में लिख दी गई थी। बुधवार को जब यह सामने आई तब तक VIP टूट चुकी थी और उसके तीनों विधायक पाला बदलकर बीजेपी में आ चुके थे।
ऐसे लिखी गई पटकथा
लंबे समय से बीजेपी और नीतीश कैबिनेट में मंत्री मुकेश सहनी के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक होली से एक दिन पहले तीनों विधायकों को अपने पाले में लाने का प्लान बनाया गया। इसकी जानकारी सीएम नीतीश को पहले ही दे दी गई थी ताकि कहीं कोई चूक न हो। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) ने इसकी पूरी जानकारी मुख्यमंत्री को दी थी। जिसके बाद तीनों विधायकों से बात की गई और राजनीति का खेला कर दिया गया। बुधवार को जिस वक्त VIP को साफ करने का पूरा गेम चल रहा था, उस वक्त मुकेश सहनी बोचहां में अपनी उम्मीदवार के नामांकन में गए थे। जब तक उनको इसकी भनक लगती तब तक पूरा पासा पलट गया था।
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प्रेशर पॉलिटिक्स में न इधर के हुए, न उधर के
सहनी की पार्टी के चार विधायक साल 2020 विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस बीच बीमारी के चलते बोचहां विधायक मुसाफिर पासवान का निधन हो गया। अब सिर्फ तीन विधायक ही सहनी के पास थे। 16 मार्च 2021 का वह दिन था, जब विधान परिषद में राज्यपाल कोटे की 12 सीटों पर शपथ ग्रहण दौरान मुकेश सहनी अचानक अपनी पार्टी के सभी विधायकों के साथ राज्यपाल के पास पहुंच गए और खबर फैला दी कि वे सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं। जिसके बाद से ही NDA अलर्ट हो गई थी।
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बयानबाजी से बदल गई सियासी तस्वीर
11 मई 2021 को जब पप्पू यादव को गिरफ्तार किया गया तो सहनी ने इसका पुरजोर तरीके से विरोध जताया और इसे सरकार का अंसवेदनशील रवैया बताया था। 29 मई को एक बार फिर उन्होंने सरकार की नीतियों का विरोध किया और पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ने की मांग की। 26 जुलाई को उन्होंने एनडीए की बैठक से किनारा किया और आरोप लगाया कि एनडीए सिर्फ बीजेपी और JDU की चलती है न कि HAM और VIP से। उन्होंने समन्वय की कमी का आरोप लगाते हुए सरकार पर कई हमला बोला।
ओवर कॉन्फिडेंस ने डुबाई लुटिया
23 अक्टूबर 2021 की बात है मिर्जापुर (Mirzapur) में जनचेतना रैली चल रही थी। इसी रैली को संबोधित करते हुए सहनी ने कहा कि बिहार में नीतीश की जो सरकार है वो उनके ही रहमो करम पर चल रही है। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी में भले ही चार विधायक हैं लेकिन उनकी ताकत 74 सीटऔर 42 सीट वाले से किसी भी मुकाबले में कम नहीं। इसके बाद 26 फरवरी 2022 को एक बार भी विधायक दल की बैठक हुई और मुकेश सहनी ने मंत्री पद से इस्तीफा देने की बात कह दी। यूपी चुनाव के दौरान VIP ने विज्ञापन देकर कमल को वोट नहीं देने की अपील की और दावा किया कि वो कमल को कभी नहीं खिलने देंगे। बस यहीं से बीजेपी ने उन्हें साइड करने का प्लान बनाया और नीतीश कुमार के साथ मिलकर पूरा गेम की चेंज कर डाला।
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