सार
बिहारी छोरे के प्यार में जर्मन छोरी इस कदर पागल हुई कि उससे शादी रचाने बिहार पहुंच गई। दोनों ने परिजनों की मर्जी से पूरे हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली है। इस शादी में सैकड़ों लोगों ने पहुंच कर दूल्हे और दुल्हन को आशीर्वाद दिया और उनके सुखी जीवन की कामना की।
सहरसा(Bihar). कहते हैं प्यार न धर्म देखता है और न ही जाति। प्यार करने वाले सात समुंदर पार भी अपने प्रेमी के लिए पहुंच जाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है बिहार के सहरसा जिले में। यहां बिहारी छोरे के प्यार में जर्मन छोरी इस कदर पागल हुई कि उससे शादी रचाने बिहार पहुंच गई। दोनों ने परिजनों की मर्जी से पूरे हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली है। इस शादी में सैकड़ों लोगों ने पहुंच कर दूल्हे और दुल्हन को आशीर्वाद दिया और उनके सुखी जीवन की कामना की।
गौरतलब है की बिहार के सहरसा के पटुआहा के रहने वाले चैतन्य शिलांग से बीटेक करने के बाद बेल्जियम से एमएस की डिग्री हासिल की। इसके बाद पीएचडी करने के लिए वह जर्मनी चले गए। पढ़ाई के दौरान ही जर्मनी की रहने वाली एक लड़की मार्था से उनकी मुलाकात हुई। मार्था भी उसी कालेज से पीएचडी कर रही थी जहां चैतन्य पढ़ रहे थे। धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गयी और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया।
30 नवंबर को हुई दोनों की शादी
जर्मनी की रहने वाली मार्था अपनी मां, बहन और एक एनी रिश्तेदार के साथ बिहार के सहरसा पहुंची। वहां चैतन्य से उनकी धूम-धाम से शादी करवाई गई। ये शादी पूरे हिंदू रीति-रिवाज से करवाई गई। शादी गांव पटुआहा स्थित आम गाछी में संपन्न हुई है। इस शादी को लेकर इलाके में काफी चर्चा हो रही है। शादी में गांव के मुखिया मुकेश झा, समेत चैतन्य के परिवार-रिश्तेदार और सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
हिंदी बोलना नहीं जानती दुल्हन मार्था
दूल्हे चैतन्य के चाचा ध्रुव झा ने बताया कि बहू मार्था हिंदी बोलना नहीं जानती हैं, लेकिन मार्था ने कहा कि की दो से तीन महीने में हिंदी सीख लेंगी। पटुआहा के मुखिया मुकेश झा ने बताया कि यह शादी बिल्कुल हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हुई है। शादी में जो हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार सिंदूरदान और लावा पूजन के साथ ही सारे रस्में अदा की गई। इस शादी को लेकर पूरे इलाके में चर्चा हो रही है।
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