सार

निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी तीन बार टल चुकी है। अब कोर्ट ने 20 मार्च को फांसी की तारीख मुकर्रर की है। फांसी से पहले बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले निर्भया केस के दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी ने तलाक के लिए फैमली कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। 
 

औरंगाबाद। बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप केस में दोषी को बचाने के लिए उनके परिजन हर एक चाल चल रहे हैं। तीन बार फांसी टलने के बाद अब कोर्ट ने 20 मार्च को फांसी देने की तिथि मुकर्रर की थी। इससे पहले 17 मार्च को इस केस में बिहार के औरंगाबाद जिले के दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। औरंगाबाद फैमली कोर्ट में अर्जी दायर करते हुए अक्षय की पत्नी पुनीता ने कहा था कि वो एक फांसी की सजा पाने वाले व्यक्ति की विधवा होकर नहीं रहना चाहती। फैमली कोर्ट ने तलाक के केस में सुनवाई के लिए आज की तारीख दी थी। लेकिन आज सुनवाई के दौरान पुनीता कोर्ट में पेश नहीं हुई। 

20 को फांसी, 24 को मिली अगली डेट
पुनीता के कोर्ट ने पेश नहीं होने के कारण मजबूरन कोर्ट को तलाक मामले में अगली डेट देनी पड़ी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को निर्धारित की गई है। ऐसे में जिस व्यक्ति की फांसी 20 मार्च को होनी है उसके खिलाफ दायर अर्जी की सुनवाई 24 मार्च को कैसे होगी?

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अक्षय के वकील व परिजन तलाक की अर्जी लगाकर फांसी रोकने की एक और चाल चली है। इस बीच पुनीता के वकील मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि वादी न हो तो सुनवाई नहीं हो सकती है। हालांकि कोर्ट ने माना कि चूंकि यह केस की पहली तारीख है तो वादी की उपस्थिति अनिवार्य है। बता दें कि जब तक तलाक मामले की सुनवाई नहीं होगी तब तक कोर्ट अक्षय को समन जारी नहीं कर सकता है। 

पति से मिलने के लिए दिल्ली गई पुनीता
इस बीच अक्षय के परिजनों से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी  के अनुसार पुनीता अपने पति से मिलने के लिए दिल्ली गई है। पुनीता ने पहले ही पति से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने मिलने की मंजूरी दी थी। बता दें कि निर्भया गैंगरेप केस में अक्षय को 20 मार्च को फांसी दिया जाना तय हुआ है। लेकिन उससे पहले तलाक की अर्जी दायर करना और फिर सुनवाई के लिए दिए गए तारीख पर वादी का उपस्थित नहीं होना, दोषी को बचाने की गहरी साजिश लग रही है। पुनीता ने तलाक की अर्जी औरंगाबाद फैमली कोर्ट के प्रधान न्यायधीश रामलाल शर्मा की अदालत में दी थी।