सार
एक्ट्रेस कंगना रनोट ने एक वीडियो जारी कर उद्धव ठाकरे को वह चेतावनी याद दिलाई है, जो उन्होंने 2020 में उन्हें तब दी थी, जब मुंबई की आलोचना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी।
एंटरटेनमेंट डेस्क. महाराष्ट्र में चल रहे सियासी उठापटक पर कंगना रनोट (Kangana Ranaut) की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। वीडियो के कैप्शन में एक्ट्रेस ने लिखा है, "जब पाप बढ़ जाता है तो सर्वनाश होता है और उसके बाद सृजन होता है...और जिंदगी का कमल खिलता है।"
वीडियो के क्या कह रहीं कंगना रनोट?
वीडियो में कंगना कह रही हैं, "1975 के बाद यह समय भारत के लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण समय है। 1975 में लोकनेता जेपी नारायण की एक ललकार 'सिंहासन छोड़ो कि जनता आती है' से सिंहासन गिर गए थे। 2020 में मैंने कहा था कि लोकतंत्र एक विश्वास है और सत्ता के घमंड में आकर जो इस विश्वास को तोड़ता है, उसका घमंड टूटना निश्चित है। ये किसी व्यक्ति विशेष की कोई शक्ति नहीं हैं। यह शक्ति है एक सच्चे चरित्र की। दूसरी बात हनुमान जी को शिव का बारहवां अवतार माना जाता है और जब शिवसेना ने हनुमान चालीसा को बैन कर दिया तो उन्हें तो फिर शिव भी नहीं बचा सके। हर हर महादेव। जय हिन्द, जय महाराष्ट्र।"
उद्धव को भाई-भतीजावाद का घटिया प्रोडक्ट बता चुकीं कंगना
इससे पहले कंगना रनोट ने उद्धव ठाकरे को राजनीति के भाई-भतीजावाद का सबसे घटिया प्रोडक्ट बताया था। 2020 में मुंबई की आलोचना के बाद जब उद्धव ठाकरे ने कंगना रनोट पर कटाक्ष किया था, तब एक्ट्रेस ने अपने बयान में कहा था, "मुख्यमंत्री, आपको अपने आप पर शर्म आनी चाहिए। एक लोक सेवक होकर आप छोटे-छोटे झगड़ों में लगे हुए हैं। अपनी शक्ति का दुरुपयोग उन लोगों को अपमानित, नुकसान पहुंचाने और प्रताड़ित करने के लिए कर रहे हैं, जो आपसे सहमत नहीं हैं। आप उस कुर्सी के लायक नहीं हैं, जो आपने गंदी राजनीति खेलकर हासिल की है। शर्म करो।"
यह है पूरा मामला
महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार के मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की अगुवाई में 40 विधायकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। शिंदे गुट ने सरकार पर उनकी बात न सुनी जाने और सीएम द्वारा घंटों तक इंतजार कराए जाने जैसे आरोप लगाए थे। इसके अलावा वे एनसीपी के गठबंधन में सरकार चलाए जाने का विरोध भी कर रहे थे। बाद में राज्यपाल ने उद्धव सरकार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया तो उद्धव ठाकरे इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जहां से राहत न मिलने के बाद उन्होंने बुधवार को पद से इस्तीफा दे दिया।
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