सार
Economy को संभालने के लिए जारी किए गए 2 हजार के नोटों का मूल्य उस समय करीब 6.72 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 4.90 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यानि 1.82 लाख करोड़ रुपये के 2 हजार के नोट प्रचलन से बाहर हो गए हैं।
बिजनेस डेस्क। देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ा है। छोटी-छोटी खरीददारी (shopping) के लिए ऐप और अन्य ऑनलाइन ( Online) तरीकों का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इस बीच नगद खरीदी (purchased) का प्रचलन भी बढ़ा है। वहीं देश में धीरे-धीरे 2000 रुपये के नोटों की संख्या कम होती जा रही है। साल 2017-18 की तुलना में करीब 25 फीसदी कम हुई है। नोटबंदी (demonetisation) के बाद यह 33,630 लाख के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई थी, मौजूदा साल के मार्च महीने में इसमें जबरदस्त कमी आई है। अब ये आंकड़ा घटकर 24,510 लाख हो गया है। इस समय बाजार से 9,120 लाख(नोटों की संख्या) के 2 हजार के नोट रनिंग में नहीं हैं। इनकी कुल कीमत 1.82 लाख करोड़ रुपये है। देश में 2,000 रुपये के नोटों की संख्या में 27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
2 हजार के 1.82 लाख करोड़ रुपये प्रचलन से बाहर
नोटबंदी के बाद 2 हजार के नोट जारी किए गए थे । अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए जारी किए गए 2 हजार के नोटों का मूल्य उस समय करीब 6.72 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 4.90 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यानि 1.82 लाख करोड़ रुपये के 2 हजार के नोट प्रचलन से बाहर हो गए हैं। सरकार ने 500 और एक हजार रुपए के नोट का लीगल टेंडर खत्म किया था। इसका उद्देश्य था कि बाजार से नकली नोट खत्म हो जाए, साथ ही कालाधन वापस बैंकों में आ जाए।
लगातार घट रहे बाजार में 2 हजार के नोट
RBI ने इस संबंध में अभी कोई रिपोर्ट जारी नहीं की है। हालांकि 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई बंद कर दी गई है । इस मामले में एक्सपर्ट का कहना है कि बड़ी कीमत के ये नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं। यहीं वजह है कि एटीएम में भी लोगों को पहले की तरह 2,000 रुपये के नोट नहीं मिल रहे हैं। देश में फिर ये धारणा बन रही है कि 2 हजार के नोटों की कीमत अधिक होने के कारण इसे काले धन के रूप में जमा किया गया हो।
नगद लेनदेन में बढ़ोतरी
देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ने के साथ ही नगद खरीदी बढ़ गई है। सरकार द्वारा नोटबंदी (Demonetisation) के ऐलान के 5 साल बाद भी लोगों की जेब नोटों से भरी हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक नकद भुगतान(payment) के जरिए इस समय बाजार में मौजूद currency अपने उच्चतम स्तर (highest level) पर पहुंच गई है। सरकार द्वारा नोटबंदी के ऐलान के 5 साल बाद भी लोगों के पास करेंसी लगातर बढ़ रही है। नकद भुगतान के जरिए लोगों के पास इस समय मौजूद करेंसी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। 8 अक्टूबर, 2021 को खत्म हुए पखवाड़े में लोगों के पास करेंसी 28.30 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई स्तर पर रही थी। ये आंकड़ा 4 नवंबर, 2016 को 17.97 लाख करोड़ रुपये के स्तर से 57.48 फीसदी या 10.33 लाख करोड़ रुपये अधिक है। 25 नवंबर, 2016 को दर्ज 9.11 लाख करोड़ रुपये से लोगों के पास नकदी 211 फीसदी बढ़ी है।
सिस्टम में बढ़ रही है नकदी
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, 23 अक्टूबर, 2020 को समाप्त पखवाड़े में दिवाली त्योहार से पहले लोगों के पास करेंसी में 15,582 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी, वार्षिक आधार पर इसमें 8.5 फीसदी या 2.21 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। बता दें कि नवंबर 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोट वापस लेने के बाद लोगों के पास करेंसी, जो 4 नवंबर 2016 को 17.97 लाख करोड़ रुपये थी, जनवरी 2017 में घटकर 7.8 लाख करोड़ रुपये रह गई थी।
नगदी बढ़ने का क्या है कारण
कोरोनाकाल में लॉकडाउन और बैंकों से कैश भुगतान की अनिश्चितता को लेकर लोगों ने घरों में कैश जुटाकर रखा था। वहीं बैंकों से होने वाले नगदी भुगतान की लिमिट भी इसके लिए जिम्मेदार। लोगों ने इलाज के खर्चे और अन्य जरुरतों के लिए बैंकों से धन की जमकर निकासी की है। वहीं नगदी लेनेदेने से आने वाले धन को घर पर रखा है। इससे बाजार में नगदी का सर्कुलेशन ज्यादा हुआ है। RBI की दी गई जानकारी के मुताबिक, लोगों के पास करेंसी की गणना सर्कुलेशन में कुल करेंसी (CIC) से बैंकों के पास नकदी की कटौती के बाद की जाती है। CIC एक देश के भीतर कैश या करेंसी को के आंकड़ों का विश्लेषण करता है, जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच लेनदेन करने के लिए फिजिकल रूप से उपयोग किया जाता है।
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