सार
अब महंगाई में कमी आने के आसार हैं। अनाज, तेल-तिलहन और दलहन के दामों में कमी आई है। इसका मतलब है कि खाने के तेल, दाल और अनाज सस्ते हो जाएंगे। फिलहाल चावल के दाम स्थिर बने हुए हैं। मॉनसून के कारण सब्जियां भी सस्ती हो जाएंगी।
बिजनेस डेस्कः देश में लोग महंगाई से परेशान हैं। लेकिन अब थोड़ी राहत की खबर सामने आ रही है। महंगाई से राहत मिलने के आसार हैं। रिटेल सामान के दाम 2022 के रिकॉर्ड स्तर से 21 प्रतिशत तक घट गए हैं। अभी तक के रिकॉर्ड हाई लेवल रेट से 56 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अनाज, तेल-तिलहन और दलहन के भाव में कमी आई है। लेकिन चावल के भाव स्थिर हैं। जानकारी दें कि ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी की आशंका के चलते बीते दो महीनों में दुनियाभर में कमोडिटी के दाम तेजी से घटे हैं।
मानसून में सब्जियां होंगी सस्ती
मार्केट के जानकारों के मुताबिक अभी बाजार की स्थिति में गिरावट जारी रहेगा। इसका असर रिटेल महंगाई पर नजर आएगा। एक रिपोर्ट भी कहती है कि जैसे-जैसे मानसून आगे बढ़ेगा, घरेलू बाजार में कृषि जिंसों की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा और सब्जियां भी सस्ती होंगी।
कृषि सामानों के दाम में गिरावट के बड़े कारण
- ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी की आशंका।
- माल ढुलाई सस्ती हुई, 23 मई से अब तक फ्रेट इंडेक्स 36% घटा।
- मई के बाद से कच्चे तेल के दाम में गिरावट के रुझान से समस्या।
- दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ने से बाजार से अतिरिक्त नकदी हटना।
- मानसून की बारिश देश में फसलों की बुआई बढ़ना।
- एक्सपोर्ट पर रोक और खाद्य वस्तुओं के इंपोर्ट खोलने की पॉलिसी।
कमजोर उत्पादन के चलते कम घटे गेहूं के भाव
मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार एक्सपोर्ट पर पाबंदी की वजह से गेहूं के भाव नीचे आए हैं। पिछली बार फसल कम आने के चलते गिरावट का असर सीमित रहा। दूसरी तरफ इंडोनेशिया से पाम ऑयल के निर्यात पर लगी रोक हट गई है। जिस कारण से सप्लाई बढ़ी है और खाने के तेल और तिलहन के भाव दबाव में हैं। यूक्रेन से सन फ्लावर ऑयल की सप्लाई भी बढ़ी है। इसका असर भी घरेलू तेल बाजार पर देखा जा रहा है।
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