सार
नई संहिता का मकसद वेतन में देरी से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के साथ साथ यह सुनिश्चित करना है कि पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के साथ लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
बिजनेस डेस्क। केंद्र सरकार इस साल मजदूरी संहिता 2019 को लागू करने की तैयारी में है। इसे सितंबर तक लागू किया जा सकता है। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने 7 जुलाई को जारी ड्राफ्ट को नियमों को आधिकारिक गैजेट में रखा है जो सार्वजनिक फीडबैक के लिए 45 दिनों के लिए खुला रहेगा और फिर कोई आपत्ति नहीं आने पर लागू कर दिया जाएगा।
नरेंद्र मोदी सरकार की नई मजदूरी संहिता से करीब 50 करोड़ लोगों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। पिछले साल कोड को संसद में मंजूरी मिली थी। तब बिल को संशोधित कर इसमें वेतन, बोनस जैसे मुद्दों से जुड़े कानूनों को शामिल किया गया था। लागू होने के बाद कोड में चार श्रम कानून शामिल होंगे जिसमें न्यूनतम वेतन अधिनियम, मजदूरी संदाय अधिनियम, बोनस भुगतान अधिनियम और समान वेतन अधिनियम शामिल हैं।
लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं
इस संहिता में एक न्यूनतम वेतन सभी कर्मचारियों को समय पर देने का प्रावधान है। यह किसी भी सेक्टर और वेतन की सीमा में लागू होगा। दरअसल, नई संहिता का मकसद वेतन में देरी से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के साथ साथ यह सुनिश्चित करना है कि पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के साथ लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। माना जा रहा है कि मजदूरी संहिता लागू होने के बाद मुकदमे आदि में भी कमी आएगी।
काम के 8 घंटे
ड्राफ्ट नियमों के तहत मजदूरी संहिता में 8 घंटों के काम का शिफ्ट अनिवार्य होगा। माना जा रहा था कि कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए लिए काम के घंटों में इजाफा किया जा सकता है। मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया है।
(प्रतीकात्मक फोटो)