सार

अमेरिकी विमानन कंपनी बोइंग ने अंतरराष्ट्रीय वृद्धि योजना के लिये भारत को महत्वपूर्ण बाजार के रूप में चिन्हित किया है। कंपनी की नजर भारत से अरबों डॉलर मूल्य के लड़ाकू जेट विमान खरीद का सौदा हासिल करने पर है। 

वाशिंगटन. अमेरिकी विमानन कंपनी बोइंग ने अंतरराष्ट्रीय वृद्धि योजना के लिये भारत को महत्वपूर्ण बाजार के रूप में चिन्हित किया है। कंपनी की नजर भारत से अरबों डॉलर मूल्य के लड़ाकू जेट विमान खरीद का सौदा हासिल करने पर है। बोइंग ग्लोबल सेल एंड मार्केटिंग के उपाध्यक्ष (अंतरराष्ट्रीय बिक्री) डेनिस स्वानसन ने यह बात अपनी भारत यात्रा से पहले कही है। वह उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत में 5 से 9 फरवरी के बीच उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होने वाली वृहत रक्षा प्रदर्शनी में भाग लेने के लिये आ रहे हैं।

भारत ने 114 जेट का टेंडर जारी किया 
इस साल अप्रैल में भारतीय वायुसेना ने 18 अरब डॉलर की लागत में 114 जेट खरीदने को लेकर शुरूआती निविदा जारी की। इसे हाल के वर्षों में सबसे बड़ी रक्षा खरीद माना जा रहा है। सौदा हासिल करने को लेकर लॉकहीड की एफ-21, बोइंग की एफ/ए-18, डसाल्ट एविएशन की रफाल, यूरोफाइटर टाइफून, रूसी विमान मिग 35 और साब की ग्रिपेन के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है।

स्वासन ने कहा, ‘‘बोइंग के लिये भारत शीर्ष बाजारों में से एक है और हमारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वृद्धि योजना के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। तीव्र वृद्धि वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत में वृद्धि के अवसर हैं। साथ ही प्रतिभा और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तन का भी लाभ है।’’

प्रदर्शनी में भाग लेंगी 1000 से अधिक कंपनियां 
उन्होंने कहा कि बोइंग ने भारत में विनिर्माण, कौशल विकास और इंजीनियरिंग क्षेत्र में निवेश किया है और एयरोस्पेस तथा रक्षा परिवेश के विकास में योगदान कर रहा है। लखनऊ में होने वाली रक्षा प्रदर्शनी में करीब 70 देशों की 1,000 से अधिक कंपनियों के भाग लेने की उम्मीद है। भारत के अरबों डॉलर के लड़ाकू विमान की खरीद से जुड़े सवाल के जवाब में स्वानसन ने कहा कि बोइंग का एफ/ए-18 सुपर हार्नेट भारत की जरूरतों के हिसाब से उपयुक्त है। यह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और क्षमता से लैस है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में वृद्धि और उत्पादकता के बहुत अवसर हैं तथा भारत एवं अमेरिका के बीच रक्षा कारोबार तथा भागीदारी की काफी संभावना है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)