सार
जी20 की शुरुआत वैसे तो 1999 में ही हो गई थी लेकिन वैश्विक नेताओं की बैठक की शुरुआत 2008 में हुई। इसके बनने के पीछे दुनिया का तेल संकट और एशिया के आर्थिक संकट की भूमिका अहम रही है।
बिजनेस डेस्क : भारत में G20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हो गई है। दुनियाभर के दिग्गज नेता नई दिल्ली में जुट गए हैं। दुनिया की 80 फीसदी से ज्यादा अर्थव्यवस्था संभालने वाला यह संगठन इस बार काफी कुछ खास विषयों पर चर्चा करने वाला है। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि जी20 की शुरुआत वैसे तो 1999 में ही हो गई थी लेकिन वैश्विक नेताओं की बैठक की शुरुआत 2008 में हुई। लेकिन यूं ही जी20 नहीं बन गया था। न दुनिया में तेल संकट और आर्थिक व्यवस्था चरमराती और ना ही यह ग्रुप बनता। आइए जानते हैं जी20 के बनने की कहानी...
तेल संकट से बना शक्तिशाली संगठन
जी20 के बनने की कहानी की शुरुआत 1970 के आसपास ही हो गई थी। यह वह दौर था, जब दुनिया में तेल संकट गहरा गया था। इसी संकट से दुनिया को बाहर आने के लिए 7 सबसे बड़े औद्योगिक देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, कनाडा, जर्मनी और इटली ने G7 नाम से ग्रुप बनाया। आने वाले कई साल तक इस ग्रुप ने कई क्षेत्रों में काम किया लेकिन जब बात आर्थिक मोर्चे की आई तो यह सफल होती नहीं नजर आई। इसके बाद जी7 पर सवाल उठने लगे। 1990 के आसपास इसे विस्तार देने की चर्चा हुई। हालांकि, सदस्य देशों में सहमति नहीं बन पाई। उस वक्त रूस सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन भारत, चीन और ब्राजील को भी ग्रुप में शामिल करने की बात हुई। 1998 में बर्मिंघम सम्मेलन में रूस को आधिकारिक तौर पर ग्रुप का हिस्सा बनाया गया और इसका नाम G8 हो गया।
वित्तीय संकट से आया G20 का आइडिया
इसके बाद 1999 के दौर में एशिया में वित्तीय संकट गहरा गया था। तब 19 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों ने बैठक की। इसमें जी8 के सदस्य देशों के साथ साथ भारत, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, तुर्किये और यूरोपीय यूनियन को बुलाया गया। सितंबर 1999 में जी-8 सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों ने जी20 का आइडिया दिया और यहीं से जी20 की शुरुआत हुई।
आर्थिक संकट आने पर कई विकासशील देश इससे जुड़े
जी20 की बैठक तो हर साल होती थी लेकिन 2008 में पूरी दुनिया में आर्थिक संकट आने पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ने जी8 को अपग्रेड करने की बात कही। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शिखर सम्मेलनों की संख्या में कमी और जी8, संयुक्त राष्ट्र और पुराने संस्थानों में की बात कही। वे चाहते थे कि भारत, ब्राजील या चीन जैसे देश जी8 का हिस्सा बने, क्योंकि उनके बिना दुनिया की समस्याएं खत्म नहीं हो सकती हैं। इटली ने भी G8 को बदलने की बता कही और चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मैक्सिको के साथ अतिथि देश मिस्र को इसमें शामिल करने की बात कही। इसके बाद अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, एशिया और अरब दुनिया के कई आर्थिक दिग्गजों को जोड़कर ग्रुप ऑफ 20 यानी जी20 की स्थापना हुई। जिसकी पहली बैठक साल 2008 में हुई।
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