India Economic Performance: हार्वर्ड अर्थशास्त्री जेसन फर्मन के अनुसार, भारत कोविड-19 के बाद दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। अमेरिका, चीन और यूरो एरिया जैसी अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही हैं, जबकि भारत ने तेज ग्रोथ दिखाया है।
India GDP Growth Post Covid: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय CEA (काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स) चेयरमैन रहे जेसन फर्मन (Jason Furman) ने एक डेटा शेयर करते हुए भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी इकोनॉमी बताया है। उनके अनुसार, कोविड-19 महामारी के बाद भारत ने अमेरिका और चीन जैसी आर्थिक महाशक्तियों को पीछे छोड़ दिया है। फर्मन के अनुसार, जब कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया। कारोबार-ट्रैवल लगभग ठप हो गए और कई देशों की GDP में भारी गिरावट आई, तब भारत अकेला ऐसा देश रहा, जिसने स्थायी और सकारात्मक ग्रोथ दिखाया है। 2019 से 2025 Q3 तक की तुलना में भारत की GDP ग्रोथ 5% से ऊपर पहुंचने का अनुमान है।
दुनिया की टॉप इकोनॉमी की तुलना
भारत: सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था
भारत कोविड-19 के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। 2020 में GDP –25% तक गिर गया। लेकिन इसके बाद भारत ने तेजी से रिकवरी की और 2025 तक 8% तक पॉजिटिव ग्रोथ हासिल की। इसके पीछे घरेलू खपत में बढ़ोतरी, निवेश, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, युवा जनसंख्या और PLI जैसी नीतियां हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्युटिकल्स के निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए, जबकि IT और सर्विस सेक्टर ने वैश्विक मंदी का सामना किया। सरकार की फिस्कल पॉलिसी और खर्च में समझदारी ने भी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया। वित्तीय घाटा 6% से नीचे रखा गया, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त जगह बनी।
अमेरिका: तेजी से रिकवरी, लेकिन भारत से पीछे
अमेरिका ने कोविड-19 के झटके के बाद जल्दी रिकवरी दिखाई। सरकार के फिस्कल स्टिमुलस जैसे अमेरिकन रेस्क्यू प्लान ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया। हालांकि, अमेरिका का ग्रोथ अभी भी पुराने ट्रेंड से केवल 2% ऊपर है। इसका मतलब है कि अमेरिका ने स्थायी नुकसान से बचा लिया, लेकिन उसकी वृद्धि की गति भारत जितनी तेज नहीं है। फर्मन ने यह भी नोट किया कि अमेरिका की हाल की ग्रोथ में अधिकांश योगदान AI और डेटा सेंटर निवेश से आया है, जिससे पूरे आर्थिक सेहत पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
चीन: सबसे बड़ी चुनौती
चीन कोविड-19 के दौरान सबसे ज्यादा पिछड़ा और शुरुआती रिकवरी के बाद भी उसका ग्रोथ 2025 तक ट्रेंड के नीचे रहा। जीरो-कोविड पॉलिसी और रियल एस्टेट संकट ने स्थायी नुकसान पहुंचाया। फर्मन के अनुसार, चीन का ग्रोथ ट्रेंड अब भी 5% नीचे है, जिसका मतलब है कि चीन ने अपने पुराने स्तर तक वापसी नहीं की और अभी भी आर्थिक चुनौती झेल रहा है।
यूरो एरिया: अभी भी रिकवरी हो रही है
यूरो एरिया कोविड-19 के समय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। 2020 में यह क्षेत्र लगभग 25% नीचे चला गया। हालांकि बाद में रिकवरी हुई, लेकिन 2025 तक यह अभी भी 3% नीचे ट्रेंड पर है। इसका मतलब है कि यूरो एरिया में स्थायी नुकसान है और उनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पुराने स्तर तक नहीं पहुंच पाई।
रूस के लिए सबसे कठिन समय
रूस की अर्थव्यवस्था पर जियोपॉलिटिकल तनाव और प्रतिबंधों का बड़ा असर पड़ा। 2020 में रूस लगभग 8% नीचे चला गया और 2025 तक यह स्थिति लगभग समान बनी हुई है। इसका मतलब है कि रूस की अर्थव्यवस्था कोविड और वैश्विक दबाव से प्रभावित रही और अभी भी पुराने ट्रेंड से पीछे है।
IMF और ग्लोबल एजेंसियों की रिपोर्ट
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती से उभरती हुई बताया है। IMF ने FY26 के लिए भारत का विकास अनुमान 6.6% तक बढ़ाया है, जो पहले के 6.4% अनुमान से ऊपर है। यह वृद्धि खासकर FY26 की पहली तिमाही में GDP के 7.8% तक बढ़ने के कारण है। IMF का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है, लेकिन भारत की मजबूत प्रदर्शन क्षमता इसे दुनिया की प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में रखती है।
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