सार

वैज्ञानिक अब इलेक्ट्रॉनिक कचरे से सोना बनाएंगे। सुनने में ये भले अजीब लगे लेकिन कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ ससकैचेवान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को रीसाइकिल कर सोना बनाया जा सकता है। 

Gold Produce form Electronic Waste: दुनिया की सबसे महंगी धातुओं में शामिल सोना अब बेहद आसान तरीके से बनाया जा सकेगा। दरअसल, वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉनिक कचरे से सोना बनाने और उसे री-साइकिल करने का एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जो सस्ता होने के साथ ही पर्यावरण के भी अनुकूल है। इलेक्ट्रॉनिक कचरे से सोना निकालने की ये खोज गोल्ड इंडस्ट्री में क्रांतिकारी बदलाव साबित होगी।

20 पुराने मदरबोर्ड से बनाया 450 मिलीग्राम Gold

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से खर्च किए गए हर एक डॉलर के बदले 50 डॉलर कीमत का सोना मिल सकता है। रिसचर्स ने ई-कचरे से सोना निकालने के लिए प्रोटीन स्पंज का इस्तेमाल किया। वैज्ञानिकों ने सिर्फ 20 पुराने कंप्यूटर मदरबोर्ड से 22 कैरेट सोने की 450 मिलीग्राम की डली बनाई है। इतना सोना बनाने के लिए जो खर्च आया वो लागत मूल्य से 50 गुना कम है।

कैसे ई-कचरे से बनाते हैं Gold

इलेक्ट्रॉनिक कचरे से सोना निकालने के लिए वैज्ञानिकों ने सबसे पहले ई-कचरे को 550 से 700 डिग्री सेल्सियस तापमान पर दो से तीन घंटे तक गरम किया। इसके बाद एसिडिक कंडीशन में प्रोटीन स्पंज बनाने के लिए सुखाया। इसके बाद वैज्ञानिकों ने स्पंज को गर्म किया और सोने के आयनों को टुकड़ों में बदल दिया, जिसे पिघलाकर सोने की डली बना दी गई। इस स्टडी में पता चला कि सोने की डली में 91 प्रतिशत Gold था, जो कि 22 कैरेट के बराबर था। इसके अलावा बाकी हिस्सा कॉपर था।

गोल्‍ड इंडस्‍ट्री में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है ये तकनीक

रिसर्चर्स के मुताबिक, ई-वेस्ट से सोना बनाने की ये प्रॉसेस कम लागत और पर्यावरण के अनुकूल होने की वजह से गोल्ड इंडस्ट्री में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया में हर साल 50 मिलियन टन से ज्यादा इलेक्‍ट्रानिक कचरा निकलता है। ऐसे में अगर इस कचरे का इस्तेमाल पूरी तरह गोल्ड बनाने में किया जाए तो काफी मात्रा में सोना मिल सकता है।

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