सार
हल्दीराम के प्रोडक्ट्स भारत में ही नहीं बल्कि सिंगापुर और अमेरिका जैसे बाजारों में खूब बिकता है। इन देशों में इसकी खूब डिमांड है। कंपनी के 150 रेंस्तरा हैं, जहां लोकल फूड्स, मिठाइयां और वेस्टर्न फूड्स बेचे जाते हैं।
बिजनेस डेस्क : टाटा ग्रुप और हल्दीराम के बीच चल रही डील वाली खबरों को टाटा ग्रुप ने सिरे से खारिज कर दिया है। बुधवार को दिनभर चर्चा रही कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (Tata Consumer Product) हल्दीराम में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हल्दीराम की वैल्यूएशन करीब 10 अरब डॉलर है। हालांकि, टाटा ग्रुप की तरफ से इन खबरों से साफ इनकार कर दिया गया है। टाटा की तरफ से कहा गया कि इस तरह की कोई बातचीत नहीं चल री है। बता दें कि पहले रायटर्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि टाटा और हल्दीराम के बीच कम से कम 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की डील चल रही है।
हल्दीराम का 85 साल का सफर
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 85 साल पहले साल 1937 में भुजिया, नमकीन और मिठाइयां बनाने वाली कंपनी हल्दीराम ने शुरुआत की थी लेकिन अब Tata Consumer इस कंपनी की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर अपने पोर्टफोलियो (Tata Consumer-Haldiram Deal) में शामिल कर सकती है। हालांकि, अभी तक टाटा और हल्दीराम की तरफ से इसको लेकर किसी तरह की खबर नहीं है। टाटा के एक प्रवक्ता ने कहा कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स मार्केट में चल ही इस तरह की अटकलों पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करती है। हल्दीराम ने भी इसपर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है।
स्नैक्स मार्केट में हल्दीराम की हिस्सेदारी
यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के मुताबिक, भारत में करीब 6.2 अरब डॉलर का स्नैक्स मार्केट है, जिसमें अकेले हल्दीराम (Haldiram) की ही हिस्सेदारी करीब 13 फीसदी है। इसके अलावा Pepsi की भी इस मार्केट पर अच्छी पकड़ है। इन दोनों के बाद Lays चिप्स भी करीब 12 फीसदी ही हिस्सेदारी मार्केट में बनाए हुए है। हल्दीराम के प्रोडक्ट्स भारत में ही नहीं बल्कि सिंगापुर और अमेरिका जैसे बाजारों में खूब बिकता है। इन देशों में इसकी खूब डिमांड है। कंपनी के 150 रेंस्तरा हैं, जहां लोकल फूड्स, मिठाइयां और वेस्टर्न फूड्स बेचे जाते हैं।
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