सार
ब्रिटेन भारत व्यापार परिषद (यूकेआईबीसी) का मानना है कि भारत सरकार कंपनियों द्वारा जताई जा रही चिंताओं को लेकर जागरूक है, लेकिन ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में अधिक निवेश आकर्षित करने को उसे अभी और कुछ करने की जरूरत है
मुंबई: ब्रिटेन भारत व्यापार परिषद (यूकेआईबीसी) का मानना है कि भारत सरकार कंपनियों द्वारा जताई जा रही चिंताओं को लेकर जागरूक है, लेकिन ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में अधिक निवेश आकर्षित करने को उसे अभी और कुछ करने की जरूरत है।
लॉबिंग करने वाले समूह की यह टिप्पणी केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के अमेजन पर बयान को लेकर हो रही आलोचना के बीच आयी है। गोयल ने कहा था कि अमेजन भारत में निवेश की घोषणा कर कोई ‘एहसान’ नहीं कर रही है।
ई-कॉमर्स क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं
सरकार के अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत के निचले स्तर पर आने का अनुमान है जो इसका एक दशक का निचला स्तर होगा। अमेजन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जेफ बेजोस ने हाल में कहा था कि ई-कॉमर्स क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारत में लघु एवं मझोले उपक्रमों को डिजिटल बनाने पर एक अरब डॉलर (करीब 7,000 करोड़ रुपये) का निवेश करेगी।
यूकेआईबीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रिचर्ड हील्ड ने पीटीआई भाषा से बातचीत में गोयल के बयान के निवेशकों पर पड़ने वाले प्रभाव पर विशेष रूप से कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं, खासकर छोटी इकाइयों के लिए जिन्हें इनके मंच पर अपने उत्पाद बेचने का अवसर मिलता है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ई-कॉमर्स क्षेत्र में उतरने की योजना
उन्होंने कहा, ‘‘मैं ई-कॉमर्स क्षेत्र का बड़ा प्रशंसक हूं और मुझे लगता है कि इस क्षेत्र को सही तरीके से समझा नहीं गया। इसकी आपूर्ति श्रृंखला में काम करने वालों और आम जनता को इससे क्या फायदा होता है, इसके बारे में सही समझ नहीं बन पाई।’’
हील्ड ने कहा कि मुकेश अंबानी प्रवर्तित रिलायंस इंडस्ट्रीज की ई-कॉमर्स क्षेत्र में उतरने की योजना है। हालांकि, कंपनी इसके लिए अलग कारोबारी मॉडल अपनाएगी। कोई भी कंपनी अपनी पसंद या प्राथमिकता के हिसाब से कारोबारी मॉडल अपना सकती है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)