सार
दुनिया का एक शक्तिशाली तबका पुतिन (Russia President Vladimir Putin) के खिलाफ लामबंद हो गया है। इस लामबंदी में रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। यूरोपियन देशों (European Countries) के अलावा ब्रिटेन (Britain) और अमरीका (USA) भी इस ग्रुप में शामिल हैं।
Russia-Ukraine War: जब से रूस ने यूक्रेन पर युद्ध (Russia-Ukraine War) शुरू किया है, तब से दुनिया का एक शक्तिशाली तबका पुतिन (Russia President Vladimir Putin) के खिलाफ लामबंद हो गया है। इस लामबंदी में रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। यूरोपियन देशों (European Countries) के अलावा ब्रिटेन (Britain) और अमरीका (USA) भी इस ग्रुप में शामिल हैं। रूस को सबक सिखाने के लिए यह तमाम देश प्रतिबंधों का सहारा लेकर उसकी आर्थिक स्थिति को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि रूस इस युद्ध को रोक दे। वैसे आम लोगों के मन में कई तरह के सवाल भी हैं। ये तमाम प्रतिबंध किस तरह के हैं, किस देश ने कौन-कौन से प्रतिबंध लगाए हैं, यह सभी प्रतिबंध कितने कारगर साबित होते हैं। आइए आपको भी बताते हैं इन सवालों के जवाब।
रूस पर किस तरह के लगे हैं प्रतिबंध
- इंटरनेशनल कंयूनिटी ने रूस पर एकतरफा और सामूहिक रूप से कई आर्थिक और राजनयिक प्रतिबंध लगाए हैं।
- अमेरिका रूस के विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने जा रहा है।
- अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस के दो सबसे बड़े बैंकों सबरबैंक और वीटीबी बैंक पर एकतरफा बंदिशें लगाई हैं।
- दोनों देशों ने रूस के एलीट क्लास पर ट्रैवल सैंक्शन लगाए हैं। उनकी संपत्तियां फ्रीज कर दी हैं। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी ऐसा किया है।
- पश्चिमी देश रूस के सेंट्रल बैंक के एसेट को फ्रीज करने जा रहे हैं। रूस का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 630 अरब डॉलर का है।
- जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना को रोकने का संकेत दिया है।
- पोलैंड, चेक गणराज्य, बुल्गारिया और एस्तोनिया ने रूसी विमानन कंपनियों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिए हैं।
- रूस की ओर से वीटो यूज करने की वजह से यूएन सुरक्षा परिषद कोई प्रतिबंध लागू नहीं कर पाएगा।
- यूरोपीय संघ ने रूस के कई लोगों और प्रतिष्ठानों पर यात्रा और वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं, यूरोपीय यूनियन के सैंक्शंस 555 रूसी व्यक्तियों और 52 संस्थाओं पर लागू हैं।
- रूसी स्टेट ड्यूमा के वो 351 सदस्य भी शामिल हैं, जिन्होंने यूक्रेन के खिलाफ हमले का समर्थन किया है।
- स्विफ्ट (SWIFT) बैंकिंग नेटवर्क से रूसी बैंकों को बाहर करने की तैयारी है।
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शेयर बाजार और करेंसी पर असर
वैसे पुतीन की इस हरकत से और दूसरे देशों की ओर से लगाए जा रहे प्रतिबंधों के कारण रूस की करेंसी रूबल 30 फीसदी गिर चुकी है। रूस का शेयर बाजार 40 फीसदी की गिरावट के साथ पूरी तरह से क्रैश हो चुका है। रूस के 630 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज कर दिया गया है। जिसकी वजह से रूस की फाइनेंशियल मार्केट में हड़कंप मच गया। जिसकी वजह से रूस ने ब्याज दरों को 9.5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया। साथ ही विदेशियों की सिक्योरिटीज बेचने पर प्रतिबंध लगाया है।
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प्रतिबंध लगाकर सिखाया जाता है सबक
जब भी दुनिया की कोई छोटी बड़ी इकोनॉमी आक्रामक होती है या फिर किसी दूसरी इकोनॉमी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती है तो इंटरनेशनल कंयूनिटी आक्रामद देश पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों का सहारा लेकर उसे तोड़ने का प्रयास करती है। सैन्य तरीके से जवाब देना ग्लोबल इकोनॉमी को नुकसान पहुंचा सकता है ऐसे में दुनियार के बाकी देश आर्थिक प्रतिबंधों के साथ राजनयिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी खत्म करने का प्रयास करते हैं। इन प्रतिबंधों को लगाने में यूएनओ के साथ उन देशों का अहम रोल होता है जो अंतर्राष्ट्रीय पटल पर दबदबा होता है। जिसमें अमरीका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ भी शामिल होता है।
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आक्रामक देश को दुनिया से अलग करने का होता है मकसद
वास्तव में आक्रामक देश पर प्रतिबंध लगाने का प्रमुख मकसद दुनिया से उसे अलग-थलग करना होता है। उस देश पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों के सहारे से सभी तरह के संबंध खत्म कर दिए जाते हैं। उस देश से किसी तरह का कारोबार बंद कर दिया जाता है। उसके इंटरनेशनल फंड और फॉरेन करेंसी को फ्रीज कर दी जाती है। यह नियम काफी कड़े होते हैं, जिसकी वजह से आक्रामक देश और उसके लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से उस देश को अपने रवैए में तब्दीली लानी पड़ती है। अगर बात रूस की करें तो वो दुनिया के पांच अहम देशों में से एक है, जिसके बाद यूएन सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता होने के साथ वीटो पॉवर भी है।
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पुतीन पर कितना होगा प्रतिबंधों का असर
रूस के राष्ट्रपति व्लादिरमिर पुतीन पर इन प्रतिबंधों का कितना असर होगा। यह एक अहम सवाल है। क्योंकि आज रूस और उसके राष्ट्रपति काफी शक्तिशाली हो चुके हैं। इन प्रतिबंधों से रूस डराना और धमकाना काफी मुश्किल है। रूस के पास चीन जैसे शक्तिशाली देश का साथ है। वहीं दूसरी ओर दुनिया के कई देश इस पूरे मामले बंटे हुए हैं। जब रूस ने क्रिमिया को अपने देश में विलय किया था तो उस वक्त रूस पर लगाए प्रतिबंधों का भारत ने भी विरोध किया था। वहीं दूसयरी ओर रूस आर्थिक दृष्टि से क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी देकर कारोबार और ट्रांजेक्शंस के इश्यू को खत्म कर सकता है।
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किस तरह से असर डालते हैं यह प्रतिबंध
रूस से पहले भी कई देशों पर प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। जिसमें वेनेजुएला, ईरान, और उत्तर कोरिया जैसे देशों के नाम शामिल हैं। जिन लोगों और ऑर्गनाइजेशन पर इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं उन पर इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। जानकारों की मानें तो आर्थिक प्रतिबंधों के कारण करीब 40 फीसदी मामलों में लक्षित देशों के व्यवहार में अर्थपूर्ण बदलाव आता है। हाल ही में अमेरिकी सरकार की एक हालिया स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि प्रतिबंधों का कितना असर पड़ता है इसकी जानकारी हासिल करना काफी मुश्किल है।