सार

यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार के बताया कि इन सभी प्रवेश परीक्षाओं को एकीकृत करने का प्रस्ताव है। जिससे स्टूडेंट्स को एक ही ज्ञान के आधार पर कई प्रवेश परीक्षाओं की बजाय सिंगल प्रवेश परीक्षा के जरिए उनके मनपसंद कोर्स में एडमिशन दिया जाए। 

करियर डेस्क : मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी चल रही है। सबकुछ सही रहा तो जल्द ही दोनों ही कोर्स के लिए एक ही एंट्रेंस एग्जाम कराया जा सकता है। यानी सिंगल एंट्रेंस एग्जाम के जरिए मेडिकल और इंजीनियरिंग में एडमिशन दिया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) इस प्लान पर काम कर रहा है। मेडिकल- इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम को कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट-अंडरग्रेजुएट (CUET-UG) के तहत लाया जा सकता है। यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार (M Jagadesh Kumar) ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि नए प्रस्ताव के मुताबिक तीन प्रवेश परीक्षाओं में चार सब्जेक्ट्स- मैथ्य, फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी की अलग-अलग परीक्षा के बजाय सिर्फ एक ही प्रवेश परीक्षा के जरिए छात्र अपने मनपसंद कोर्स को चुन सकेंगे।

अब सिंगल एंट्रेंस एग्जाम का प्लान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश की यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन अलग-अलग तरह से बातचीत और मीटिंग्स  और इस पर हर तरह से विचार के लिए कमेटी बना रहा है। जगदीश कुमार ने बताया कि यूजीसी का प्लान है कि सभी प्रवेश परीक्षाओं को संयुक्त कर दिया जाए। जिससे छात्रों को अलग-अलग परीक्षाओं में शामिल न होना पड़े। छात्रों को एक ही प्रवेश परीक्षा देनी होगी और अलग-अलग क्षेत्रों में एडमिशन के अवसर भी मिलेंगे।

कौन-कौन से एग्जाम हो सकते हैं साथ
बता दें कि यूजीसी की योजना के मुताबिक जेईई मेन (JEE Main), नीट (NEET) और स्नातक लेवल पर होने वाली प्रवेश परीक्षा  CUET-UG को एक साथ मर्ज कर दिया जाए। इन तीनों ही परीक्षाओं में करीब 43 लाख छात्र शामिल होते हैं। जिसमें से ज्यादातर मेडिकल और इंजीनियरिंग के होते हैं। जेईई मेंस में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स को मैथ्स, फिजिक्स और केमेस्ट्री का एग्जाम देना होता है, जबकि नीट यूजी में मैथ्य की बजाय बायोलॉजी होती है। ये सब्जेक्ट्स सीयूईटी के 61 डोमेन सब्जेक्ट्स में भी शामिल हैं। ऐसे में तीनों परीक्षाओं को सिंगल करने पर छात्रों पर ज्यादा दबाव नहीं होगा। यही यूजीसी का उद्देश्य भी है। 

अलग-अलग कोर्स के लिए चयन कैसे होगा
जगदीश कुमार के मुताबिक इस प्रस्ताव का उद्देश्य ये कि छात्रों पर कई प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने का दबाव कम करना है। एक परीक्षा के जरिए भी उनके सब्जेक्ट के नॉलेज को परखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस समय इंजीनियरिंग, मेडिकल या फिर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के ढेर सारे विकल्प मौजूद हैं। जो छात्र मेडिकल- इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं, सिंगल एंट्रेंस एग्जाम के बदा उनके सब्जेक्ट के अनुसार मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। जो दूसरे कोर्स में एडमिशन चाहते हैं, उन्हें सीयूईटी-यूजी के तहत दूसरे कोर्स में एडमिशन दिया जाएगा। हालांकि यूजीसी अभी इस पर विचार कर रहा है। कमेटियों की राय के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

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